गौरी लंकेश हत्याकांड के खुलासों पर निर्भर न रहें, दाभोलकर-पानसरे हत्या की स्वतंत्र जांच करें : हाईकोर्ट
गौरी लंकेश हत्याकांड के खुलासों पर निर्भर न रहें, दाभोलकर-पानसरे हत्या की स्वतंत्र जांच करें : हाईकोर्ट
- कोर्ट ने दोनों जांच एजेंसियों को निर्देश दिए कि वे पानसरे-दाभोलकर हत्याकांड के आरोपियों को खोजने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें।
- बांबे हाईकोर्ट ने सीबीआई और महाराष्ट्र सीआईडी को दाभोलकर-पानसरे हत्या की स्वतंत्र जांच के लिए कहा।
- हाईकोर्ट ने कहा- एजेंसियों को महज गौरी लंकेश हत्याकांड में हुए खुलासों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरूवार को सीबीआई और महाराष्ट्र सीआईडी को कहा कि वे गौरी लंकेश हत्याकांड में हुए खुलासों पर पूरी तरह निर्भर न रहें और नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे हत्याकांड की स्वतंत्र जांच जारी रखें। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और एमएस कार्णिक की बेंच ने दोनों जांच एजेंसियों को निर्देश दिए कि वे पानसरे और दाभोलकर हत्याकांड के आरोपियों को खोजने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। सीआईडी द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की जिस पर गौर करने के बाद यह निर्देश दिए गए।
अदालत ने देखा कि एसआईटी ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में लिखा है कि वह कर्नाटक में गौरी लंकेश हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के जरिए पानसरे हत्याकांड में फरार आरोपियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। पिछली सुनवाई के दौरान भी सीबीआई और एसआईटी ने लंकेश हत्याकांड के आरोपियों से पूछताछ की जानकारी दी थी। बेंच ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कर्नाटक के दूसरे मामले से जुड़े आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं लेकिन खुद फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठा रहे हैं इसका खुलासा नहीं कर रहे।
अदालत ने कहा कि दूसरे मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खुलासों पर आप निर्भर नहीं रह सकते, ऐसा कितने दिन चलेगा। आपको खुद जांच कर कुछ तथ्य जुटाने होंगे। खासकर यह देखते हुए कि महाराष्ट्र में कर्नाटक से पहले अपराध हुए हैं। हीं सीबीआई की तरफ से दलील दी गई कि मामले की जांच के लिए बेहद काबिल अधिकारियों की टीम बनाई गई है और वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया है और जल्द ही आरोपपत्र दाखिल कर देंगे।
बेंच ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि कर्नाटक की जांच एजेंसियां जांच में काफी आगे हैं जबकि महाराष्ट्र की जांच एजेंसियां ऐसा करने में असफल रहीं हैं। खासकर नौकशाही के झंझटों और तालमेल के अभाव में ऐसा हो रहा है। अदालत ने सीबीआई और सीआईडी को अगली प्रगति रिपोर्ट 6 फरवरी को पेश करने को कहा है।