महिलाओं और युवाओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों से जोड़ने का आह्वान

सतत विकास शिखर सम्मेलन महिलाओं और युवाओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों से जोड़ने का आह्वान

IANS News
Update: 2022-02-22 11:00 GMT
महिलाओं और युवाओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों से जोड़ने का आह्वान
हाईलाइट
  • जलवायु परिवर्तन धरती पर हर व्यक्ति को प्रभावित करता है

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। वरिष्ठ महिला जलवायु कार्यकतार्ओं ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस) के 21वें संस्करण को संबोधित करते हुये महिलाओं और युवाओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों से जोड़ने और उन्हें सशक्त बनाने का आह्वान किया।

वीमेन लीडरशिप एंड आवर कॉमन फ्यूचर विषय पर आयोजित पूर्ण सत्र के दौरान, टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल की डीन रशेल काइट ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे अन्य युवा महिलाओं का मार्ग प्रशस्त करें।

उन्होंने कहा, हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। हम कई महिलाओं के सहारे खड़े हैं, जिन्होंने हमारे लिए एक रास्ता बनाया है। अब यह हमारी जि़म्मेदारी है कि हम उन महिलाओं को मजबूत, व्यापक सहारा दें , जो जरूरतमंद हैं और उनके लिये नया दरवाजा खोलें।

उन्होंने डब्ल्यूएसडी22 के दूसरे दिन सत्र को संबोधित करते हुए पर्यावरण और विकास पर रियो डी जेनेरियो में 1992 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान की यादों को साझा किया।

उन्होंने बताया कि बेला एब्जग और वांगरी मथाई जैसी महिला कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उन्होंने किस तरह महिलाओं और बच्चों के लिए सतत विकास पर अपनी शत्र्तो को लेकर संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि उसके बाद से पूरी दुनिया में सतत विकास को लेकर अपनी परिभाषा का ेलेकर महिलाओं ने अभूतपूर्व कार्य किया है।

जलवायु परिवर्तन धरती पर हर व्यक्ति को प्रभावित करता है लेकिन अध्ययनों ने साबित किया है कि यह महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से विस्थापित होने वाले लोगों में करीब 80 फीसदी महिलायें हैं।

प्राथमिक देखभाल करने वालों और भोजन की अग्रणी प्रदाताओं के रूप में उनकी भूमिका को देखते हुए, बाढ़ या सूखा होने पर महिलायें सबसे अधिक असुरक्षित होती हैं।

इस वास्तविकता को 2015 के पेरिस समझौते में मान्यता दी गयी थी, जिसमें जलवायु निर्णय लेने में विभिन्न लोगों खासकर महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व की मांग की गई थी। आज, बोर्डरूम से लेकर नीति निमार्ता तक, विज्ञान से लेकर कार्यकर्ता तक, महिलायें हर जगह नेतृत्व के लिए अपनी आवाज का उपयोग कर रही हैं और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने का आहवान कर रही हैं।

2015 के पेरिस समझौते को तैयार करने वाली फ्रांसीसी राजनयिक लॉरेंस टुबियाना, जो अब यूरोपीय जलवायु फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, ने कहा, महिलाएं विद्रोही मोर्चे पर भी जलवायु नेतृत्व का नेतृत्व कर रही हैं, जहां वे जलवायु परिवर्तन की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए सरकारों, वैश्विक नेताओं और नीति निमार्ताओं पर दबाव डाल रही हैं।

टुबियाना ने कहा, हमें महिला पारिस्थितिकवाद (ईको टूरिज्म)का समर्थन करना जारी रखना चाहिये क्योंकि वे बहुत दृढ़ संकल्प के साथ आवाज उठा रही हैं। विश्व स्तर पर, वनों की कटाई और शहरीकरण के कारण, 14 प्रतिशत महिलायें अधिक से अधिक प्रभावित हो रही हैं।

सबसे ज्यादा पीड़ित गर्भवती महिलायें हैं, जिन्हें वायु प्रदूषण और अन्य कार्बन उत्सर्जन से निपटना होता है। इसलिए, हमें संसद में और नीति निमार्ताओं के रूप में अधिक से अधिक महिलाओं की आवश्यकता है, जो इस मुद्दे से जुड़ाव महसूस कर सकें और सतत विकास नीतियां तैयार कर सकें, जो महिलाओं के लिए सुरक्षित हों।

पूर्ण सत्र में हेलेन क्लार्कसन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, द क्लाइमेट ग्रुप, केट हैम्पटन, सीईओ, चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड फाउंडेशन, मर्सी वंजा करुंडिटू, उप कार्यकारी निदेशक, द ग्रीन बेल्ट मूवमेंट, और जि़ए बस्तीदा, सह-संस्थापक, रि-अर्थ इनिशिएटिव ने भी भाग लिया।

(आईएएनएस)

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