चंद्रयान-2: ISRO ने रचा इतिहास, ऑर्बिटर से अलग हुआ लैंडर 'विक्रम'

चंद्रयान-2: ISRO ने रचा इतिहास, ऑर्बिटर से अलग हुआ लैंडर 'विक्रम'

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-01 15:22 GMT
चंद्रयान-2: ISRO ने रचा इतिहास, ऑर्बिटर से अलग हुआ लैंडर 'विक्रम'
हाईलाइट
  • 7 सिंतबर को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा चंद्रयान-2
  • ये अब चंद्रमा के 119x127 किमी के ऑर्बिट में पहुंच गया है
  • लैंडर से अलग हुआ रोवर

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। इसरो के वैज्ञानिकों ने आज (सोमवार) चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर "विक्रम" (Lander Vikram) को सफलतापूर्वक अलग करा दिया। इस काम को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर अंजाम दिया गया। अब निर्धारित कार्यक्रम के तहत लैंडर "विक्रम" सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर लैंड कर जाएगा। 

इसरो ने ट्वीट के माध्यम से इस बात की जानकारी दी है। इसरो ने लिखा, लैंडर "विक्रम" इस वक्‍त चंद्रमा की 119km x 127km कक्षा में चक्‍कर लगा रहा है। वहीं चंद्रयान-2 का आर्बिटर उसी कक्षा में चक्‍कर लगा रहा है, जिसमें वह रविवार को दाखिल हुआ था।

बता दें कि विक्रम लैंडर का पहला डिऑर्बिट मैन्युवर 3 सितंबर को सुबह 09:00 से 10:00 बजे के बीच निर्धारित किया गया है जो विक्रम को 109x120 किमी के ऑर्बिट में पहुंचा देगा। 4 सितंबर को सुबह 03:00 से 04:00 बजे के बीच दूसरा डिऑर्बिट मैन्युवर होगा, इसके बाद विक्रम 36x110 किमी के ऑर्बिट में पहुंचेगा। 7 सितंबर को 01:30 से 02:30 बजे विक्रम चांद पर लैंड करेगा।

लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट के दौरान, लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड के वेग से नीचे जाएगा और दो क्रेटर मैन्जिनस C और सिम्पेलिअस N के बीच लगभग 70.9 डिग्री दक्षिण 22.7 डिग्री पूर्व के अक्षांश पर लैंड करेगा। यदि यह इस स्थान पर उतरने में विफल रहता है, तो इसरो की एक वैकल्पिक साइट भी है जो 67.7 डिग्री दक्षिण और 18.4 डिग्री पश्चिम में है।

एक सफल लैंडिंग के बाद भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले देशो की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बना देगा। जबकि चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश होगा।

विक्रम लैंडर के उतरने के चार घंटे बाद, उसके भीतर रखे गए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर, इसमें से बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह का स्पर्श करेगा। 27 किलो के इस रोवर में दो पेलोड है। चांद की सतह पर यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ेगा।

एक लूनर डे (पृथ्वी के 14 दिन) के अपने जीवनकाल के दौरान, प्रज्ञान, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करके 50W बिजली उत्पन्न कर सकता है, 500 मीटर तक आगे बढ़ेगा। इस दौरान वह तस्वीरें लेने का साथ-साथ चांद की सतह पर कंटेट का विश्लेषण करेगा। यह 15 मिनट के भीतर विक्रम की मदद से पृथ्वी पर वापस डेटा भेजेगा।

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