LAC के पास चीन बना रहा कंक्रीट स्ट्रक्चर्स, बॉर्डर पर तेजी से सैनिकों की तैनाती में मिलेगी मदद

LAC के पास चीन बना रहा कंक्रीट स्ट्रक्चर्स, बॉर्डर पर तेजी से सैनिकों की तैनाती में मिलेगी मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-15 12:01 GMT
LAC के पास चीन बना रहा कंक्रीट स्ट्रक्चर्स, बॉर्डर पर तेजी से सैनिकों की तैनाती में मिलेगी मदद
हाईलाइट
  • चीन अपने सैनिकों के लिए परमानेंट कंक्रीट के स्ट्रक्चर्स बना रहा
  • चीनी सेना को बहुत कम समय में विवादित क्षेत्र में घुसने में मदद मिलेगी
  • भारतीय एजेंसियों ने सीमावर्ती इलाकों के पास कंक्रीट की इमारतों के साथ नए सैन्य शिविर देखे

डिजिटल डेस्क, लेह। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास चीन अपने सैनिकों के लिए परमानेंट कंक्रीट के स्ट्रक्चर्स बना रहा है। इससे चीनी सेना को बहुत कम समय में विवादित क्षेत्र में घुसने में मदद मिलेगी। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया है कि भारतीय एजेंसियों ने सीमावर्ती इलाकों के पास कंक्रीट की इमारतों के साथ नए सैन्य शिविर देखे हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसा ही एक शिविर उत्तरी सिक्किम के नाकू ला इलाके से बमुश्किल कुछ किलोमीटर की दूरी पर देखा गया है।

सूत्रों ने कहा कि इसी तरह की इमारतें पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के इलाकों में बनाई गई हैं। बीते कुछ सालों में चीन ने अपनी तरफ रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया है। इस अपग्रेडेशन से चीनी सैनिकों LAC की तरफ मूवमेंट में काफी आसानी हो गई है। सूत्रों ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में इन स्थायी संरचनाओं के बनने से चीनी क्षमता में काफी सुधार हुआ है। किसी भी स्थिति से निपटने में उसे ये स्थाई संरचनाएं मदद करेंगी। चीनी सैनिकों को फॉर्वर्ड लोकेशन्स पर एक्सट्रीम विंटर में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन ये कंक्रीट स्ट्रक्चर्स चीनी सैनिकों की काफी मदद करेंगे। वे जरुरत पड़ने बॉर्डर पर तेजी से सैनिकों की तैनाती कर सकेंगे।

सूत्रों ने कहा कि नए स्ट्रक्चर आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाए जा रहे हैं और उनके चारों ओर मजबूत निर्माण के साथ सुरक्षा मुहैया कराई गई है। चीनी की इन गतिविधियों पर भारतीय एजेंसियां ​​नजर रख रही हैं और इन घटनाक्रमों के अनुरूप आकलन किया जा रहा है। बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले साल जून में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। नौ महीने के गतिरोध के बाद, इस साल फरवरी में भारत और चीन की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर डिसएंगेजमेंट को तैयार हुई। इस समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं ट्रूप्स की फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेंट नहीं कर सकती।

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