मप्र में सरकारी अमले की कार्यशैली पर विवाद

मप्र में सरकारी अमले की कार्यशैली पर विवाद

IANS News
Update: 2020-07-31 14:30 GMT
मप्र में सरकारी अमले की कार्यशैली पर विवाद
हाईलाइट
  • मप्र में सरकारी अमले की कार्यशैली पर विवाद

भोपाल, 31 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में सरकारी अमले की कार्यशैली पर विवाद उठ रहा है। कहीं अतिक्रमण हटाने के नाम पर कमजोर तबके पर कार्रवाई की जा रही है तो वहीं बिजली बिल के नाम पर वाहनों की कुर्की की जा रही है। सरकारी अमले की इस कार्यशैली ने कांग्रेस को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है।

राज्य में लगभग डेढ़ दशक सत्ता में रहने के बाद भाजपा को लगभग 15 माह ही सत्ता से बाहर रहना पड़ा है। सत्ता में लौटने के बाद भाजपा लगातार गरीब, किसान, मजदूरों से यही वादे कर रही है कि सरकार की पहली प्राथमिकता यही वर्ग है।

पिछले कुछ दिनों में सरकारी अमले की विवादित कार्रवाइयों ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। गुना में अतिक्रमण हटाने गए दल ने दलित परिवार के साथ मारपीट की थी और फसल को जेसीबी मशीन से नष्ट कर दिया था। ठीक इसी तरह देवास जिले में भी जेसीबी मशीन से फसल को नष्ट किया गया। इसका विरोध करते हुए एक महिला किसान ने खुद को आग लगा ली थी। इसके अलावा सीहोर जिले में कई किसानों के वाहनों को सिर्फ इसलिए जब्त किया गया है, क्योंकि उन्होंने बिजली बिल जमा नहीं किया है।

इस तरह के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, जहां सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने गरीबों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की है। गुना की घटना को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गंभीरता से लिया था और वहां के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के अलावा ग्वालियर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक को हटा दिया था। हालांकि सरकार की ओर से लगातार यही कहा जा रहा है कि सरकार गरीब, किसान और कमजोर वर्ग की है।

राज्य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है, किसानों और दलितों के हित में हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को जनता जानती है। हम कानून हाथ में लेने वालों को नहीं बख्शते, चाहे वो कोई भी हो, गुना मामले में भी हमने अधिकारियों पर फौरन एक्शन लिया और जांच के आदेश दिए।

वहीं कांग्रेस की ओर से गरीब व किसानों को परेशान व प्रताड़ित करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव का कहना है, भाजपा की सरकार आते ही किसानों पर अन्याय और अत्याचार बढ़ गए हैं, हमने कमल नाथ के नेतृत्व में किसानों के बिजली के बिल आधे कर उनका कर्ज माफ किया, उनकी परेशानियों को समझा और उनकी हर संभव सहायता की। किसान आज दुखी है और सरकार द्वारा प्रताड़ित है। मुख्यमंत्री चौहान के गृह जिले सीहोर में अनाप-शनाप बिजली बिल जमा न करने पर किसानों के वाहन तक कुर्क कर दिए गए। आने वाले उपचुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी।

Tags:    

Similar News