A Month of Lockdown: कोविड-19 की ग्रोथ 21.6% से घटकर पहुंची 8.1% पर

A Month of Lockdown: कोविड-19 की ग्रोथ 21.6% से घटकर पहुंची 8.1% पर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-25 05:10 GMT
A Month of Lockdown: कोविड-19 की ग्रोथ 21.6% से घटकर पहुंची 8.1% पर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गई लॉकडाउन की घोषणा को आज ठीक एक महीने पूरे हो गए हैं। जब 24 मार्च को पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी उस वक्त भारत में कोविड-19 के लगभग 500 मामले थे और आने वाले दिनों में लगभग तय था कि ये मामले तेजी से बढ़ेंगे। 24 मार्च को कोरोना के मामलों की बढ़ने की दर 21.6% थी जो अब घटकर  8.1% रह गई है। अगर हम उस दर से बढ़ना जारी रखते तो अब तक मामलों की संख्या 2 लाख को पार कर जाती। हालांकि कुछ देशों की तुलना में भारत अभी भी कोरोना को रोकने में उनसे पीछे हैं।

 मई के अंत तक संक्रमितों की संख्या पहुंच सकती है 2.5 लाख
लॉकडाउन के पांचवें सप्ताह में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित देश अमेरिका और जर्मनी में वायरस का ग्रोथ रेट घटकर 4.8% और 2% पर आ गया था जबकि भारत में पांचवें सप्ताह में ग्रोथ रेट 8.1% है।  यदि भारत मौजूदा दर से बढ़ता रहा, तो अगले सप्ताह के अंत तक 40,000 के करीब मामले होंगे और मई के अंत तक ये आंकड़ा 2.5 लाख के करीब हो जाएगा। लेकिन जिस तरह केरल जैसे राज्य अपने ग्रोथ रेट को कम (1.8%) करने में कामयाब रहे हैं अगर उसी तरह दूसरे राज्य भी अपने स्तर पर इस तरह की कोशिश करते हैं तो आने वाले दिनों में देश में कोरोनावायस की एवरेज ग्रोथ रेट में अच्छी खासी कमी आ सकती है। यहां तक ​​कि एक छोटी सी गिरावट से कुल संख्या में बड़ा अंतर आएगा।

पीएम ने सोशल डिस्टेंसिंग को बताया था एक मात्रा रास्ता
पीएम मोदी ने 24 मार्च को जब 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया। जब पीएम ने ये घोषणा की थी तब उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग को कोरोनावायरस से निपटने का एक मात्र रास्ता बताया था। पीएम ने कहा था कि इसके संक्रमण की साइकिल को तोड़ना ही होगा। कुछ लोग इस गलतफहमी में हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग केवल बीमार लोगों के लिए है, लेकिन ये सोचना सही नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग सभी के लिए है, प्रधानमंत्री के लिए भी है। कुछ लोगों की गलत सोच आपके परिवार को, आपको, आपके बच्चों को आपके दोस्तों बहुत मुश्किल में डाल देगी। अगर ऐसी लापरवाही जारी रही तो भारत को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। 

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