SP मॉडल की गाइडलाइंस को मंजूरी, मेक इन इंडिया के तहत हथियार बनने में आएगी तेजी

SP मॉडल की गाइडलाइंस को मंजूरी, मेक इन इंडिया के तहत हथियार बनने में आएगी तेजी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-30 17:27 GMT
SP मॉडल की गाइडलाइंस को मंजूरी, मेक इन इंडिया के तहत हथियार बनने में आएगी तेजी
हाईलाइट
  • 'मेक इन इंडिया' के तहत वेपन प्रोडक्शन के लिए अहम पॉलिसी के निर्देशों को रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को मंजूरी दे दी।
  • अब दुनिया की बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर आधुनिक हथियार बनाने में भारतीय प्राइवेट सेक्टर की भूमिका बढ़ जाएगी।
  • पॉलिसी के निर्देशों की मंजूरी में देरी के कारण कई प्रोजेक्ट अटके हुए थे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। "मेक इन इंडिया" के तहत वेपन प्रोडक्शन के लिए स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप (SP) पॉलिसी को लागू करने सम्बंधित दिशा-निर्देशों को रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को मंजूरी दे दी। एक साल से भी ज्यादा समय से इस अहम पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा चुका था। इसके दिशा-निर्देशों की मंजूरी में देरी के कारण कई प्रोजेक्ट अटके हुए थे। इस मंजूरी के बाद अब दुनिया की बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर आधुनिक हथियार बनाने में भारतीय प्राइवेट सेक्टर की भूमिका बढ़ जाएगी।

 



SP पॉलिसी का क्या है मकसद?
भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्वीज़िशंस काउंसिल (DAC) ने नौसेना के हेलिकॉप्टरों के लिए "प्लैटफॉर्म-स्पेसिफिक गाइडलाइंस" को भी मंजूरी दी है। इसके साथ ही समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कोस्ट गार्ड को तेज गश्त करने वाले आठ जहाज (FPV) लेने के लिए 800 करोड़ रुपये पर भी शुरुआती सहमति दी गई है। सोमवार को हुई DAC मीटिंग के बाद अधिकारियों ने कहा कि SP मॉडल का मकसद देश के डिफेंस इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करना है और भविष्य में स्वदेशी प्राइवेट कंपनियों की सहायता से सेना की जरुरत के हिसाब से हथियारों के डिजाइन, डेवलपमेंट और मेन्युफेक्चरिंग कर सकने की क्षमताओं को बढ़ाना है।

 



देरी के कारण लटके थे कई प्रोजेक्ट्स
गौरतलब है कि SP मॉडल 2017 में सामने आया था, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका था। इस देरी से सैन्य आधुनिकीकरण से संबंधित परियोजनाएं लटक गई थीं। पिछले चार सालों में की गई कई घोषणाओं के बाद भी मेक इन इंडिया के तहत कोई भी बड़ा डिफेंस प्रोजेक्ट शुरु नहीं किया जा सका था। 3.5 लाख करोड़ रुपये के कम से कम छह बड़े मेगा प्रोजेक्ट्स अलग-अलग स्टेज में फंसे हुए हैं, जिसमें फाइटर्स, पनडुब्बी, हेलिकॉप्टरों से लेकर सेना के लिए युद्धक वाहन भी शामिल हैं।

 



SP पॉलिसी के तहत महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में भारतीय वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमान की मैन्युफेक्चरिंग भी शामिल हैं। इसमें से 85 फीसदी जेट्स का निर्माण भारत में होना है और इसकी अनुमानित लागत 1.25 लाख करोड़ है। SP पॉलिसी के निर्देशों कों मंजूरी न मिलने के कारण ये प्रोजेक्ट अटका हुआ था। इसके अलावा "प्रोजेक्ट-75 इंडिया" को रक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2007 में ही शुरुआती मंजूरी दे दी थी। 70,000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत 6 एडवांस्ड स्टील्थ सबमरीन्स, लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल्स और ऐसे ही कुछ हथियारों का निर्माण शामिल है। ये प्रोजेक्ट भी अटका हुआ था।          

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