मैरिटल रेप को अपराध बनाने से गलत इस्तेमाल होगा, ये तर्क ठीक नहीं: HC

मैरिटल रेप को अपराध बनाने से गलत इस्तेमाल होगा, ये तर्क ठीक नहीं: HC

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-16 02:46 GMT
मैरिटल रेप को अपराध बनाने से गलत इस्तेमाल होगा, ये तर्क ठीक नहीं: HC

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्कार) को अपराध की कैटेगरी में लाने की मांग के लिए फाइल की गई पिटीशन पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि "मैरिटल रेप कानून को अपराध की कैटेगरी में लाने से, इसका गलत इस्तेमाल होगा, ये तर्क ठीक नहीं है।" केस की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर ने ये टिप्पणी की। बता दें कि इससे पहले सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि अगर मैरिटल रेप को कानून को दायरे में लाया जाता है, तो इससे पतियों को प्रताड़ित किया जा सकता है।


मैरिटल रेप की झूठी शिकायतें बहुत ही कम

मैरिटल रेप को अपराध बनाने के लिए एनजीओ RIT फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन की तरफ से पिटीशन फाइल की गई है। पिटीशनर्स की तरफ से पेश एडवोकेट करूणा नंदी ने कोर्ट से कहा कि "मैरिटल रेप के मामलों में झूठी शिकायतें भी हो सकते हैं, लेकिन ये बहुत ही कम हैं।" उन्होंने ये भी कहा कि "मैरिटल रेप के केस में शादी जैसी संस्था अस्थिर हो सकती है या इसका इस्तेमाल पतियों को परेशान करने के लिए जा सकता है। ये सारे तर्क इसे अपराध बनाए जाने से नहीं रोक सकते।"

पाकिस्तान, भूटान में अपराध तो भारत में क्यों नहीं?

वहीं सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशंस ने भी कहा है कि जब पड़ोसी देशों में मैरिटल रेप अपराध है, तो भारत में क्यों नहीं? ऑर्गनाइजेशंस की तरफ से कहा गया है कि "पाकिस्तान और भूटान ने मैरिटल रेप को अपराध माना है। श्रीलंका इसकी तैयारी में है तो भारत में भी इसे अपराध के दायरे में लाना जाना चाहिए।" उन्होंने ये भी कहा कि "देशभर में हर साल करीब 2 करोड़ महिलाएं मैरिटल रेप का शिकार होती हैं।"

केंद्र ने क्या कहा था? 

इससे पहले सुनवाई में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि "अगर मैरिटल रेप को कानून के दायरे में लाया जाता है, तो इससे शादी जैसी संस्था को नुकसान पहुंच सकता है और पतियों को प्रताड़ित करने के लिए ये आसान जरिया बन सकता है।" इसके साथ ही केंद्र ने एक एफिडेविट भी फाइल किया था जिसमें कहा था कि "मैरिटल रेप को कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। जबकि रेप को एक अपराध के रूप में धारा-375 में परिभाषित किया गया है। ऐसे में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से पहले समाज में इसको लेकर बहस होनी चाहिए।"


क्या होता है रेप? 

इंडियन पेनल कोड (IPC) के सेक्शन-375 में "रेप" को परिभाषित किया गया है। सेक्शन-375 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ इन 6 हालातों में सेक्स करता है, तो वो रेप कहलाएगा। 

1. महिला की सहमति के खिलाफ

2. महिला की मर्जी के बिना

3. महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति उसे मौत या नुकसान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर ली गई हो।

4. महिला को शादी का झांसा देकर, उससे सहमति ली गई हो।

5. महिला की मर्जी से, लेकिन ये सहमति देते वक्त महिला की मानसिक हालत ठीक नहीं हो या उसको नशीली चीज खिलाई गई हो।

6. महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना किया गया सेक्स रेप कहलाएगा। 

नोट : हालांकि, अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम हो तो पति का उसके साथ सेक्स करना रेप नहीं है।

क्या होता है मैरिटल रेप? 

भारत के संविधान के मुताबिक, मैरिटल रेप कोई क्राइम नहीं है। अगर कोई पति शादी के बाद अपनी पत्नी से उसकी मर्जी के बिना सेक्शुअल रिलेशन बनाता है, तो वो मैरिटल रेप के अंतर्गत आएगा, लेकिन इसके लिए संविधान में कोई सजा का प्रावधान नहीं है। सेक्शन-376 में पतियों को रेप करने पर सजा का प्रावधान है, लेकिन उसके लिए पत्नी की उम्र 12 साल से कम होनी चाहिए। सेक्शन-376 के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति रेप करता है, तो उसको 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों लगाया जा सकता है।

हिंदू मैरिज एक्ट में "सेक्स" जरूरी? 

वहीं हिंदू मैरिज एक्ट में पति और पत्नी के लिए कुछ जिम्मेदारियों और अधिकार दिए गए हैं। इसमें सेक्स करने का अधिकार भी शामिल है। हिंदू मैरिज एक्ट के मुताबिक, सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक तक मांगा जा सकता है। 

Similar News