इच्छा मृत्यु पर चीफ जस्टिस की राय , हर नागरिक को सम्मान से मरने का अधिकार

इच्छा मृत्यु पर चीफ जस्टिस की राय , हर नागरिक को सम्मान से मरने का अधिकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-09 10:20 GMT
इच्छा मृत्यु पर चीफ जस्टिस की राय , हर नागरिक को सम्मान से मरने का अधिकार
हाईलाइट
  • इच्छा मृत्यु को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने की टिप्पणी
  • चीफ जस्टिस ने कहा हर नागरिक को सम्मान से मरने का अधिकार
  • पुणे में बैलैंसिंग ऑफ कॉन्स्टिट्यूशनल राइट्स के विषय पर आयोजित एक व्याख्यान के दौरान बोले मिश्रा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इच्छा मृत्यु को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि हर नागरिक को सम्मान से मरने का अधिकार है। न्यायमूर्ति मिश्रा का कहना है कि कानूनी तौर पर कोई भी व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता लेकिन उसे सम्मान के साथ मरने का हक मिलना चाहिए। पुणे में बैलैंसिंग ऑफ कॉन्स्टिट्यूशनल राइट्स के विषय पर आयोजित एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोई इंसान ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जो कभी नहीं ठीक हो सकती और इच्छामृत्यु चाहता है तो वह इसके लिए "लिविंग विल" बना सकता है। 

कोर्ट ने कहा कि लोगों को सम्मान से मरने का पूरा हक है। इसी फैसले का जिक्र करते हुए मुख्य न्यायधीश ने पुणे में भी ये बातें कहीं। पुणे स्थित भारतीय विद्यापीठ परिसर में आयोजित पतंगराव कदम स्मृति व्याख्यान माला के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि अगर हमें समाज में समानता, स्वतंत्रता और हर इंसान को सम्मान से जीने का अधिकार देना है तो इसके लिए युवा पीढ़ी के लिए अच्छी शैक्षिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होंगी। 

बता दें कि 9 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसमें एक मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को गाइडलाइन्स के साथ कानूनी मान्यता दी थी। कोर्ट ने तब फैसला सुनाते हुए कहा था कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि कब वह आखिरी सांस ले।

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