फादर्स-डे : वृद्धाश्रम में बच्चों को देखने के लिए तरस रहे कई बुजुर्ग पिता

फादर्स-डे : वृद्धाश्रम में बच्चों को देखने के लिए तरस रहे कई बुजुर्ग पिता

Tejinder Singh
Update: 2018-06-17 09:05 GMT
फादर्स-डे : वृद्धाश्रम में बच्चों को देखने के लिए तरस रहे कई बुजुर्ग पिता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। फादर्स-डे पर पिता की उम्मीद होती है कि उनके बच्चे उन्हें विश करें, अपनी प्यारी सी स्माइल से उनकी टेंशन दूर करें। कुछ पिता ही ऐसे हैं, जो अपने बच्चों के मुंह से फादर्स-डे का विश सुन पाएंगे। अपने बच्चों को देखे कई महीने हो गए हैं। यह कहना है वृद्धाश्रम में रहने वाले फादर्स का। फादर्स-डे के अवसर पर वृद्धाश्रम में रहने वाले फादर्स से बातचीत करने के दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को शेयर किया। साथ ही वे फादर्स-डे पर उम्मीद रखते हैं कि उनके बच्चे आकर उन्हें विश करेंगे। जब फादर्स-डे के बारे में उनसे पूछा गया, तो उन्होंने अपनी व्यथा बताई।

केस 1 
उम्मीद नहीं है बेटे के आने की

हरिशचंद्र राव लांजेवार, उम्र 72 वर्ष के मुताबिक फादर्स-डे की तैयारियां शहर के सभी बच्चे कर रहे हैं। मेरा बेटा है, जो मुझसे मिलने आता है, पर फादर्स-डे पर आएगा या नहीं, यह पता नहीं है। वैसे उम्मीद तो कम है कि वो मुझसे मिलने आएगा। बेटियां तो ससुराल में शहर से बाहर हैं, उनका भी आना नामुमकिन है। माता-पिता अपनी ख्वाहिशों को कम करके बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करते हैं, पर कई बच्चों को इसका मोल नहीं होता है, तभी तो हमें वृद्धाश्रम में शरण लेनी पड़ती हैै। 

केस-2
बच्चों को चाहिए प्रायवेसी

गिरिधर नंदनकर, उम्र 61 वर्ष के ममुताबिक आजकल के बच्चों को प्रायवेसी चाहिए होती है। माता-पिता को भी रखना नहीं चाहते हैं। मैं पिछले 10 महीने से वृद्धाश्रम में हूं। कभी-कभार परिवार मिलने आ जाता है, पर फादर्स-डे पर शायद ही आएंगे। मैंने यह फील किया कि एक समय के बाद बच्चों को माता-पिता बोझ लगने लगते हैं। फादर्स-डे पर कई बच्चे अपने पिता को तोहफा देंगे, उन्हें विश करेंगे, पर हम तो बच्चों को देख भी नहीं सकते हैं। 

केस-3
विश करने का कोई मतलब नहीं

वामनराव सुद्धलकर, उम्र 84 वर्ष के मुताबिक अब अगर विश करते हैं या मिलने आते हैं, तो सिर्फ दिखावे के लिए। अगर घर का माहौल पहले से ही ठीक होता, तो हमें वृद्धाश्रम में रहने की नौबत ही नहीं आती। मेरा तो यही कहना है कि फादर्स-डे पर विश करने के बजाय अपने पिता को अपने साथ रखें। माता-पिता को बुढ़ापे में बच्चों की जरूरत होती है। ऐसे समय में बच्चे उनका साथ छोड़ दें, तो बहुत दु:ख होता है। सभी बच्चों से यही कहना है कि अपने माता-पिता का साथ न छोड़ें, क्योंकि माता-पिता को हमेशा ही बच्चों की आवश्यकता होती है। 

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