बेनामी संपत्ति छुपाने में राजनेता भी पीछे नहीं, सरकार की है नजर : जेटली

बेनामी संपत्ति छुपाने में राजनेता भी पीछे नहीं, सरकार की है नजर : जेटली

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-24 18:02 GMT
बेनामी संपत्ति छुपाने में राजनेता भी पीछे नहीं, सरकार की है नजर : जेटली

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति को छुपाने के लिए अज्ञात लोगों का इस्तेमाल करने के मामले में वित्त मंत्री जेटली ने किसी का नाम लिए बिना कहा, इन दिनों हम देख रहे हैं कि राजनेता भी बेनामी सौदों के दायरे में आ रहे हैं। उन्होंने कहा, यही वजह है कि हम उनका खुलासा कर रहे हैं और बेहतर उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।

आयकर दिवस के मौके पर जेटली सोमवार को यहां कर अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कर की दरें अधिक तर्कसंगत होनी चाहिए। ऐसा तभी हो सकता है जब और ज्यादा लोग कर दायरे में आएं और कर का आधार व्यापक हो। उन्होंने कहा कि सरकार कर विभाग के अधिकारी और करदाता के बीच आमना-सामना कम करने के लिए Technology का इस्तेमाल कर रही है। इससे न केवल अनुपालन लागत कम होगी, बल्कि भ्रष्टाचार और उत्पीड़न किये जाने के मामलों में भी कमी आयेगी।

जेटली ने पैन-आधार को आपस में जोड़ने को लेकर हो रहे विरोध का हवाला देते हुए कहा कि यह कर चोरी रोकने का प्रभावी उपाय है। इससे एक ही व्यक्ति के कई पैन कार्ड और उनकी कमाई और खर्च में फर्क के बारे में पता चल जायेगा। लेकिन निजता के नाम पर इसका विरोध किया जा रहा है।

कानून के तहत हुई कार्रवाई

वित्त मंत्री ने कहा सरकार ने बेनामी सौदा निषेध संशोधन कानून, 2016 के तहत कार्रवाई की है। इस कानून में उन संपत्तियों को जब्त करने का प्रावधान है, जो कि बिना हिसाब-किताब वाले धन का इस्तेमाल करते हुए दूसरों के नाम पर खरीदी गई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह के बेनामी सौदे समाप्त होंगे। जब तक हम ऐसा कोई उदाहरण पेश नहीं कर देते हैं, हमने इस तरह के सौदों को रोकने के लिए सही कदम उठाया है।

स्वेच्छा से अपनी आय बताएं और कर के दायरे में आएं

हाल के दिनों में राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों की संलिप्तता वाली 1,000 करोड़ रुपये की कथित बेनामी संपत्तियों के मामले में दिल्ली और हरियाणा में कई स्थानों पर छापेमारी की गई। जेटली ने कहा कि कर अनुपालन करने वालों को वास्तव में दो बार कर भुगतान करना पड़ता है। एक बार वह अपने हिस्से का कर भुगतान करता है और दूसरी बार कर-अनुपालन नहीं करने वालों के बदले में अधिक हिस्सा उसे चुकाना पड़ता है। यह स्थिति जारी नहीं रह सकती है। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वेच्छा से अपनी आय को बताना चाहिए और कर के दायरे में आना चाहिए।

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