भारत में जन्मे पहले पेंग्विन की मौत, 7 दिन ही जी पाया

भारत में जन्मे पहले पेंग्विन की मौत, 7 दिन ही जी पाया

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-24 16:24 GMT
भारत में जन्मे पहले पेंग्विन की मौत, 7 दिन ही जी पाया
हाईलाइट
  • गुरुवार को बॉम्बे वेटरिनरी कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा इसका पोस्टमॉर्टम किया गया।
  • शुरुआती जांच में पाया गया कि जन्म के समय से ही कुछ समस्या थी
  • जिसने इस बच्चे की जान ले ली।
  • स्वतंत्रता दिवस के दिन मुंबई के भायखला चिड़ियाघर में पैदा हुई भारत की पहली हंबोल्ट पेंग्विन की मौत हो गई है।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्वतंत्रता दिवस के दिन मुंबई के भायखला चिड़ियाघर में पैदा हुई भारत की पहली हंबोल्ट पेंग्विन की मौत हो गई है। जिस समय पेंग्विन का जन्म हुआ था उस समय बच्चा और मां दोनों एकदम ठीक थे।  शुरुआती जांच में पाया गया कि जन्म के समय से ही कुछ समस्या थी, जिसने इस बच्चे की जान ले ली। गुरुवार को बॉम्बे वेटरिनरी कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा इसका पोस्टमॉर्टम किया गया।

लगातार बिगड़ रही थी पेंग्विन की हालत
चिड़ियाघर प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि मादा पेंग्विन के माता-पिता उसकी अच्छी देखभाल कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी उसकी हालत बिगड़ती जा रही है। वेटेनरी टीम ने भी पेंग्विन को बचाने के लिए प्रयास किए लेकिन 22 अगस्त की रात में पेंग्विन की मौत हो गई। ज़ू प्रबंधन ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी पेंग्विन के चूजे के लिए पहले तीन महीने बेहद महत्वपूर्ण होते है। तीन महीनों से कम उम्र के पेंग्विन की मृत्यु दर 30 से 35 प्रतिशत है।

विदेश से लाए गए थे 8 हंबोल्ट पेंग्विन
बता दें कि वीरमाता ज‍ीजाबाई भोसले उद्यान एवं च‍िड़‍ियाघर में 26 जुलाई 2016 को विदेश से 8 हंबोल्ट पेंग्विन लाए गए थे। हंबोल्ट पेंग्विन को जू में लाए जाने पर कई सामाज‍िक कार्यकर्ताओं ने इसका व‍िरोध क‍िया था। उनका तर्क था क‍ि हंबोल्ट पेंग्‍व‍िन के ल‍िए जू की जलवायु उपयुक्‍त नहीं है, इसके बाद च‍िड़‍ियाघर ने पेंग्विन को रखने के ल‍िए खास इंतजाम क‍िए थे। इसमें करीब 2.50 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।



इसी साल पांच जुलाई को मादा पेंग्विन फ्लिपर ने मेल पेंग्विन मोल्ट से मेट के बाद अंडा दिया था। 40 दिन के इंतजार के बाद 15 अगस्त को रात आठ बजकर दो मिनट पर अंडे से बच्चा बाहर आया। यहां के कर्मचारी और डॉक्टर इसे लेकर काफी उत्साहित थे। 

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