महंगाई और आर्थिक नीतियों को लेकर पी चिदंबरम का मोदी सरकार पर वार

महंगाई और आर्थिक नीतियों को लेकर पी चिदंबरम का मोदी सरकार पर वार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-11 06:53 GMT
महंगाई और आर्थिक नीतियों को लेकर पी चिदंबरम का मोदी सरकार पर वार
हाईलाइट
  • GDP दर 8.2 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी हो गई है।
  • GST से व्यापारियों की मुश्किलें जारी हैं
  • कारोबार तबाह हुआ।
  • NPA
  • 2 लाख 63 हजार 15 करोड़ रुपये से बढ़कर 10 लाख 30 हजार करोड़ रुपये हो गया।
  • RBI सर्वे में 48% लोगों ने अर्थव्यवस्था को खराब बताया।
  • नोटबंदी के कारण विकास दर 1.5% गिरी है।
  • मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर बरसे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश में बढ़ती महंगाई और आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। चिदंबरम ने कहा है, देश में बेरोजगारी बढ़ी है। जीएसटी से व्यापारियों को नुकसान हुआ है और उनका पूरा कारोबार तबाह हो गया है। नोटबंदी के कारण विकास दर 1.5% गिरी है। RBI सर्वे में 48% लोगों ने अर्थव्यवस्था को खराब बताया है। मुद्रास्फीति बढ़ रही है।

 

 

दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "पेट्रोल, डीजल, LPG की कीमतों को लेकर लोगों में गुस्सा है। मोदी सरकार पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाती।" उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "चार सालों से बीजेपी सरकार तेल से होने वाली कमाई पर जिंदा रही है। अगर यह कमाई न हो तो बीजेपी सरकार का जीना मुश्किल हो जाएगा।"

 

 

चिदंबरम ने यह भी कहा कि मई-जून 2014 में तेल की जो कीमतें थीं, उसके मुकाबले आज कीमतें अधिक होने की कोई वजह नहीं है। फिर भी अगर मोदी सरकार चाहे तो कीमतों में 25 रुपये की कटौती कर सकती है। 

 

 


पी चिदंबरम ने कहा विकास दर में 1.5 फीसदी कमी आई है। जीएसटी के कारण कारोबारियों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा है, "तमिलनाडु सरकार ने माना है कि 50 हजार एसएमई इकाइयां बंद हो गई हैं। मई 2018 का RBI का कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे बताता है कि 48 फीसदी लोग मानते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति खराब हुई है।"

 

 


पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "चार साल की सरकार में NPA बढ़ा है। नोटबंदी की वजह से विकास दर 1.5% गिर गई है। GDP दर 8.2 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी हो गई है। तो वहीं NPA दो लाख 63 हजार 15 करोड़ रुपये से बढ़कर 10 लाख 30 हजार करोड़ रुपये हो गया है। बैंकिंग प्रणाली दिवालिया हो गई है।"

 

 

उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पांच लाख लोग बेरोजगार हुए हैं। देश भर के विश्वविद्यालयों में खलबली मची हुई है, क्योंकि युवाओं को स्नातक के बाद भी कोई नौकरियां नहीं होंगी। अब तक किसी ने भी उस नए विचार को नहीं अपनाया है कि पकौड़ा तलना भी एक नौकरी है। सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार की बात कही थी, लेकिन लेबर ब्यूरो के अक्टूबर-दिसंबर 2017 के आंकड़े जारी क्यों नहीं किए गए ?


 

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