Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-15 10:14 GMT
हाईलाइट
  • पिछले साल 13 और 14 अगस्त की रात में फैसल को हिरासत में लिया गया था
  • इससे पहले तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था
  • शाह फैसल पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के प्रमुख शाह फैसल पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था। JKPM नेता को पिछले साल 13 और 14 अगस्त की रात में दिल्ली एयरपोर्ट पर इस्तांबुल जाने के लिए उड़ान भरने से रोक दिया गया था और वापस श्रीनगर ले जाया गया था, जहां उन्हें हिरासत में लिया गया था।

शाह फैसल 2010 के UPSC टॉपर है और कश्मीर में लगातार हो रही हत्याओं के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। स्तीफे के बाद फैसल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि कश्मीर के लोग भारत के साथ अपना भविष्य नहीं देखते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि हमने बहुत हिंसा देखी है। हमने शिक्षित युवकों को राज्य के खिलाफ बंदूक उठाते देखा है। हमने शासन के गंभीर मुद्दों को भी देखा है। मैंने महसूस किया कि मौजूदा राजनीतिक स्थिति में सिस्टम ठीक तरह से रिसपॉन्ड नहीं कर रहा है। मेरा इस्तीफा नई दिल्ली को उसकी जिम्मेदारियों को याद दिलाने के लिए एक छोटा सा कार्य है। उन्‍होंने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से इस्‍तीफा देने की सोच रहे थे लेकिन वह एक सही मौके का इंतजार कर रहे थे।

इन लोगों पर भी लगाया गया है PSA
प्रशासन ने इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के महासचिव अली मोहम्मद सागर और PDP नेता सरताज मदनी के खिलाफ भी PSA लगाया था। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को सस्पेंड किए जाने के बाद, सुरक्षा की दृष्टि से 5 अगस्त को इन सभी को हिरासत में लिया गया था। उमर के पिता और सांसद फारूक अब्दुल्ला पहले से ही PSA के तहत हिरासत में थे। PSA ऐसा कठोर कानून है जो तीन महीने तक बिना सुनवाई के हिरासत में रखने की अनुमति देता है।

क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट?
1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लाया गया था। PSA के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति समय समय पर समीक्षा करती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। PSA सरकार को 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को तीन महीने तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है। 2011  से पहले 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति पर PSA लगाया जा सकता था।

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