मॉब लिंचिंग: फेक न्यूज पर सरकार सख्त, सोशल साइट्स पर तय हो सकती है जवाबदेही

मॉब लिंचिंग: फेक न्यूज पर सरकार सख्त, सोशल साइट्स पर तय हो सकती है जवाबदेही

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-05 14:38 GMT
मॉब लिंचिंग: फेक न्यूज पर सरकार सख्त, सोशल साइट्स पर तय हो सकती है जवाबदेही
हाईलाइट
  • फेक न्यूज की वजह से कई जगहों पर मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं भी सामने आई है।
  • बुधवार को गृह मंत्रालय में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक हुई।
  • सोशल मीडिया का उपयोग कर फेक न्यूज के जरिए फैलाई जा रही अफवाहों को लेकर सरकार चिंतित है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया का उपयोग कर फेक न्यूज के जरिए फैलाई जा रही अफवाहों को लेकर सरकार चिंतित है। फेक न्यूज की वजह से कई जगहों पर मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं भी सामने आई है। यही वजह है कि इसे लेकर नया कानून बनाने की संभावना पर केंद्र सरकार की तरफ से विचार किया जा रहा है। इसे लेकर बुधवार को गृह मंत्रालय में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक हुई। इसमें सुझाव दिया गया कि मॉब लिन्चिंग की घटनाओं पर फेसबुक, वॉट्सऐप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए।

जीओएम की पहली बैठक
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जीओएम की यह पहली बैठक थी और मंत्रियों को समिति की सिफारिशों के बारे में जानकारी दी गई। इस बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत दूसरे मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव शामिल हुए। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति की प्रमुख सिफारिशों में से एक, भारत में सोशल मीडिया साइटों के शीर्ष अधिकारियों पर जिम्मेदारी डालना है। ऐसा माना जा रहा है कि लिन्चिंग पर बनी कमिटी ने संसदीय अनुमोदन के जरिए भारतीय दंड संहिता (IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता में नए प्रावधान शामिल कर कानून को सख्त बनाने की सिफारिश की है।

40 लोगों की लिंचिंग के बाद बनाई जीओएम
पिछले एक साल में नौ राज्यों में लगभग 40 लोगों के साथ लिंचिंग की घटना सामने आने के बाद जीओएम और सचिवों की समिति की स्थापना की गई थी। जुलाई में, गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद लिंचिंग की घटनाओं की जांच के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी। केंद्र ने उनसे प्रत्येक जिले में पुलिस अधीक्षक के स्तर का एक अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा था। इसके अलावा खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स स्थापित करने और बच्चा चोर या मवेशी तस्करों के संदेह पर भीड़ के हमलों को रोकने के लिए सोशल मीडिया की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा था।    

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