GSAT-6A में आई तकनीकी खराबी से संपर्क टूटा, ISRO को लग सकता है झटका

GSAT-6A में आई तकनीकी खराबी से संपर्क टूटा, ISRO को लग सकता है झटका

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-01 05:05 GMT
GSAT-6A में आई तकनीकी खराबी से संपर्क टूटा, ISRO को लग सकता है झटका

डिजिटल डेस्क, श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने गुरुवार को जीसैट-6ए सैटेलाइट लॉन्च किया था। इसे भारत की अब तक की सबसे बड़ी कम्युनिकेशन सैटेलाइट बताया गया है। जिसमें मिलिट्री एप्लीकेशन लगे हैं। रविवार को सैटेलाइट में तकनीकी खराबी होने की आशंका जताई जा रही थी, इस के बाद सैटेलाइट से जुड़ी अब एक और नई खबर सामने आ रही है। इसरो की आधिकारिक वेबसाइट के द्वारा मुहैया कराइ गई जानकारी के मुताबिक इसरो का उनके इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया है। सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के काफी देर तक फायरिंग के बाद जब सैटेलाइट तीसरे और अंतिम चरण के तहत 1 अप्रैल 2018 को सामान्य ऑपरेटिंग की प्रक्रिया में था, इससे हमारा संपर्क टूट गया। सैटेलाइट जीसैट-6ए से दोबारा संपर्क स्थापित करने की लगातार कोशिश की जा रही है। 

संपर्क साधने में जुटे इंजीनियर 
सैटेलाइट को लेकर आखिरी बुलेटिन 30 मार्च की सुबह 9.22 बजे जारी किया गया था। इसरो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उपग्रह से संपर्क टूटने का कारण तकनीकी खराबी है और वैज्ञानिक इंजीनियर इस खामी को दूर करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई गई है। सूत्र का कहना है कि पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट ने (LAAM) योजना के अनुसार सुबह के 10 बजे तक ठीक-ठाक जा रहा था। लिक्विड अपोजी मोटर वाली इस सैटेलाइट में कुछ देर बाद परेशानियां आने लगीं। 

बुलाई गई इमरजेंसी मीटिंग 
इस संबंध में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई है। इसरो के सभी वैज्ञानिकों का झुण्ड इकट्ठा हो गया है, और कहां खामी आई है, इस पर चर्चा की जा रही है। बता दें कि जीसैट-6ए एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और इसको तैयार करने में 270 करोड़ रुपए का खर्च आया है। इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जाना है। यह सैटेलाइट बेहद सुदूर क्षेत्रों में भी मोबाइल संचार में मदद करेगी। इससे पहले 31 अगस्त 2017 में भी पीएसएलवी से IRNSS 1H उपग्रह की लॉन्चिंग असफल हो गई थी। 

जीसैट-6ए की खासियत? 

आई-2 के बस: इसे इसरो ने ही बनाया है। यह सैटेलाइट को 3119 वॉट पावर देता है।

इस सैटेलाइट में लगने वाला एंटीना सामान्य एंटीना से तीन गुना चौड़ा है। जो छह मीटर व्यास वाला है। 

इस सैटेलाइट में एस-बैंड लगा है, जो मोबाइल की 4-जी सर्विस के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मौसम की जानकारी देने वाले रडार, शिप रडार, कम्युनिकेशन सैटेलाइट में भी इस्तेमाल होता है।

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