वह अंगड़ाई लेती तो टूट जाती है हड्डियां, लेकिन हौसले चट्टान की तरह मजबूत
वह अंगड़ाई लेती तो टूट जाती है हड्डियां, लेकिन हौसले चट्टान की तरह मजबूत
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। असंभव शब्द शायद उसके लिए बना ही नहीं, हारना तो शायद वो जानती ही नहीं और रुकना उसने सीखा नहीं। अपनी हिम्मत और धैर्य के बूते उसने तमाम कठिनाइयों को लांघकर अपनी एक पहचान बनाई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंकिता नायडू की, जो लोगों को कठिनाइयों से लड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। जरा सी करवट में ही उसकी हड्डियां टूट जाती हैं लेकिन अंकिता का हौसला आज भी कायम है।
अंकिता जन्म से ही ऑकियों जेनेसिस जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, अब 25 साल की हो चुकी है। BCA से ग्रेजुएशन करने के बाद अंकिता आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। एमबीए करने की इच्छा लिए अंकिता, ऑनलाइन जॉब करने की मंशा रखती है। अंकिता के पिता सत्यनारायण नायडू प्राईवेट जॉब करते हैं। वहीं मां शारदा नायडू प्राईवेट स्कूल में टीचर है।
क्या है ऑकियों जेनेसिस
ऑकियों जेनेसिस एक रेयर बीमारी है, जो लाखों-करोड़ों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी में करवट लेते ही हड्डियां टूट जाती है। हड्डियों में प्लास्टर सर्जरी भी नहीं कर सकते हैं। जिस वजह से अंकिता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
पढ़ाई में अव्वल है अंकिता
गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी अंकिता पढ़ाई में अव्वल है। 12वीं तक बिना फेल हुए अंकिता ने हर साल अच्छे नंबरों से सफलता हासिल की। बीए, बीकॉम जैसे विषयों में पढाई न करके, अंकिता ने कंप्यूटर में अपना कैरियर बनाना चाहा और कामयाबी भी हासिल की।