2011 दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए बम धमाकों मे रहा शामिल, कई बार की थी रेकी

पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद असरफ 2011 दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए बम धमाकों मे रहा शामिल, कई बार की थी रेकी

Anupam Tiwari
Update: 2021-10-13 14:41 GMT
2011 दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए बम धमाकों मे रहा शामिल, कई बार की थी रेकी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में गिरफ्तार हुए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद असरफ के मामले में अब नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। बता कि साल 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने हुए बम धमाकों में आतंकी मोहम्मद असरफ शामिल रहा। पूछताछ में उसने धमाकों और हाईकोर्ट के बाहर कई बार रेकी की बात स्वीकार किया है। यहां तक कि आतंकी असरफ ने दिल्ली हेडक्वार्टर और ISBT की भी रेकी की थी। आतंकी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में उसके सामने आतंकियों ने कई बार सेना के जवानों का अपहरण कर हत्या कर दी। 

आतंकवादी असरफ का राजस्थान से कनेक्शन

जानकारी के मुताबिक आतंकी असरफ 2005-2006 तक राजस्थान के अजमेर में भी रहा। यहां रहकर वो लोगों के झाड़-फूंक का काम करता था। वहां उसने पीर पकीर बनकर कई इलाकों की रेकी की। आतंकी की देखरेख पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI कर रही थी। उसके हैंडलर का कोड नाम नासिर था। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के DCP प्रमोद कुशवाहा की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पकड़े गए आरोपी मोहम्मद असरफ के पास से कई फर्जी ID मिलीं हैं। इनमें से एक अहमद नूरी के नाम की ID थी। इसने भारतीय पासपोर्ट भी हासिल कर लिया था और थाईलैंड व सऊदी अरब की यात्रा भी की थी। डॉक्युमेंट्स बनवाने के लिए इसने गाजियाबाद में एक भारतीय महिला से शादी रचाई थी। उसके पास बिहार की ID थी।

कैसे ISI के संपर्क में आया आतंकी?

आपको बता दें कि आतंकी असरफ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में 2001 में आया। वह पाकिस्तान के पंजाब के नरोवाल जिले के कोटली सिधवान गांव में रहता था। इसी बीच इसके पिता की मौत हो गई और तीन बहनों व भाई समेत परिवार की देखभाल करनी पड़ती थी। इसी दौरान उसके परिवार को कहीं से अचानक मदद मिलना शुरू हो गई। जिसकी जानकारी उसे खुद नहीं थी। लगातार 2 साल तक ऐसा होता रहा। इसके बाद असरफ का भी जिहाद के प्रति झुकाव हो गया और वह ISI के लिए काम करने लगा। 
बता दें कि आतंकी असरफ पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के रास्ते भारत पहुंचा और कुछ दिन तक कोलकाता में रहा तथा बाद में अजमेर चला गया। उसे इस दौरान हथियार नहीं दिया गया और शांत से रहने को कहा गया था। 

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