स्वामी की मोदी सरकार को सलाह, पाक एयरस्पेस बंद करे तो हमें समुद्री रास्ता बंद करना चाहिए

स्वामी की मोदी सरकार को सलाह, पाक एयरस्पेस बंद करे तो हमें समुद्री रास्ता बंद करना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-28 16:46 GMT
स्वामी की मोदी सरकार को सलाह, पाक एयरस्पेस बंद करे तो हमें समुद्री रास्ता बंद करना चाहिए
हाईलाइट
  • पाकिस्तानी सरकार के मंत्री फवाद चौधरी के बयान के बाद स्वामी ने ये बात कही है
  • राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार को सलाह दी है
  • स्वामी ने कहा कि पाक एयरस्पेस बंद करे तो हमें समुद्री रास्ता बंद करना चाहिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के लिए अपने एयर स्पेस को पूरी तरह से बंद करने के पाकिस्तान के बयान के बाद राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार को सलाह दी है। स्वामी ने कहा है कि अगर पाकिस्तान भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) बंद कर देता है, तो भारत को कराची बंदरगाह जाने वाले समुद्री जहाजों को भी अरब सागर से नहीं गुजरने देना चाहिए।

स्वामी ने ट्वीट कर कहा, "नमो सरकार को मेरी सलाह। अगर पाक हमारे वाणिज्यिक और नागरिक विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर देता है, तो भारत को कराची बंदरगाह के लिए अरब सागर (जिसका नाम बदलने की आवश्यकता है) से जाने वाले जहाजों के लिए यह मार्ग बंद कर देना चाहिए।

दरअसल मंगलवार को इमरान खान के मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था, "पीएम इमरान खान भारत के लिए एयर स्पेस को पूरी तरह से बंद करने पर विचार कर रहे हैं। अफगानिस्तान और भारत के बीच होने वाले व्यापार के लिए पाकिस्तानी रास्तों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध भी कैबिनेट की बैठक में सुझाया गया है। इन फैसलों के लिए कानूनी औपचारिकताओं पर विचार किया जा रहा है ... #Modi ने शुरू किया है हम इसे खत्म करेंगे!"

इससे पहले भी पाकिस्तान ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद अपने एयरस्पेस को बंद कर दिया था। पाकिस्तान को अपने इस फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उसे भारत के मुकाबले करीब दो सौ करोड़ ज्यादा का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। एयरस्ट्राइक के 140 दिन बाद पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को खोल दिया था।

बता दें कि 5 अगस्त को भारत के कश्मीर को उठाए गए कदम के बाद, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में विफल रहा है। उसने इस मुद्दे को लेकर चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संपर्क किया था, जिसके बाद एक बंद दरवाजे की बैठक हुई थी। बैठक के बाद अधिकांश सदस्य इस बात पर सहमत दिखे कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।

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