TIR कन्वेंशन: दक्षिण एशिया में भारत देगा अब चीन को टक्कर

TIR कन्वेंशन: दक्षिण एशिया में भारत देगा अब चीन को टक्कर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-20 04:42 GMT
TIR कन्वेंशन: दक्षिण एशिया में भारत देगा अब चीन को टक्कर

टीम डिजिटल,नई दिल्ली. भारत टीआईआर कनवेंशन में शामिल होने वाला 71वां देश बन गया है. इससे भारत के लिए दक्षिण एशिया के बाजारों में व्यापार करना आसान हो जाऐगा, साथ ही भारत चीन को टक्कर दे सकेगा.

चीन का वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट आर्थिक और भू-राजनीति रूप से पैर जमाकर बैठा है. वहीं, भारत के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है लेकिन इस कनवेंशन में शामिल होने के बाद से भारत भी उभरती शक्तियों में शामिल होगा. टीआईआर कन्वेंशन से जुड़ने के पीछे भारत की यह रणनीति है कि इससे उसे दक्षिण एशिया एवं उसके बाहर अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी.

आपको दें कि टीआईआर माल ट्रांसपोर्टेशन के लिए मानक है जिसका प्रबंधन का जिम्मा विश्व सड़क परिवहन संगठन आईआरयू के कंधों पर है. अब तक भारत की कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं को अलग-अलग देशों की यातायात और कस्टम सिस्टम के हिसाब नहीं होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन टीआईआर को लागू करने के बाद भारत को इन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

टीआईआर भारत को म्यांमार, थाइलैंड, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ व्यापारिक समेकन में मदद करेगा. यह उसे ईरान में चाबहार बंदरगाह के मार्फत अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे में माल ढुलाई और अफगानिस्तान एवं तेल समृद्ध यूरेशिया क्षेत्र तक माल परिवहन में भी सहायता पहुंचाएगा.'

टीआईआर सिस्टम से विभिन्न देशों की सीमा पर कई तरह की प्रक्रियाओं से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा, जिससे माल की ढुलाई में लगने वाले समय और पैसे की बचत होगी. साथ ही विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर टैक्स और ड्यूटीज का भुगतान नही करना पड़गा और मालों का परिवहन आसानी से हो सकेगा.

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