जानिए कैसे रेलवे को 100 करोड़ का चूना लगा गईं कंपनियां

जानिए कैसे रेलवे को 100 करोड़ का चूना लगा गईं कंपनियां

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-03 03:12 GMT
जानिए कैसे रेलवे को 100 करोड़ का चूना लगा गईं कंपनियां

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। इंडियन रेलवे को वैसे ही सरकार घाटे में बताती रहती है ऐसे में अगर रेलवे से जुड़ी ऐसी खबर सामने आए कि रेलवे को 100 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा है तो क्या होगा। दरअसल, रेलवे को कॉपर वायर सप्लाई के नाम पर 100 करोड़ से भी ज्यादा का कंपनियों ने चूना लगा दिया है। जिसकी जांच शुरू कर दी गई है। सीबीआई की शुरुआती जांच में जिन 13 आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की गई थी, उनके ठिकानों पर शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी सर्च ऑपरेशन जारी रहा।

 

दस्तावेजों की हो रही जांच


जानाकारी के अनुसार, इन आरोपियों के ठिकानों से घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। बता दें कि रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉपर वायर की सप्लाई में घोटाले के आरोप में सीबीआई ने आरडीएसओ के तत्कालीन डीजी, राइट्स और कोर के आठ अफसरों और चार निजी फर्मों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसके बाद सीबीआई की टीमों ने इनके लखनऊ, नोएडा, इलाहाबाद, कानपुर, दिल्ली, सोनीपत, फरीदाबाद, कपूरथला और वाराणसी स्थित ठिकानों पर एक छापेमारी भी की है। इनके यहां से बड़े पैमाने पर बैंक खातों और संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है। 

 

पहले विदेश से होती थी सप्लाई 

रेलवे को सप्लाई होने वाले वायर का साउथ वायर टेक्नॉलाजी पर आधारित होना जरूरी था। इसकी सप्लाई वर्ष 2012 के पहले विदेश से की जाती थी। इस संबंध में की गई पड़ताल में सामने आया है कि रेलवे को कॉपर वायर सप्लाई करने वाली चंद्रा मेटल्स ने यह शो किया कि वह इटली की एमएमडी यूरोप और अमेरिका की केंटकी कॉपर से साउथ वायर टेक्नॉलाजी पर आधारित वायर खरीद रही है, लेकिन जांच में पता चला है कि ये कंपनियां तो साउथ वायर टेक्नॉलाजी के तार बनाने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं।

 

बताया जा रहा है कि चंद्रा मेटल्स ने इन्हीं कंपनियों के फर्जी बिल लगाकर रेलवे को 8 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया। 2012 में विदेश से सप्लाई बंद हो गई थी और कॉपर वायर सप्लाई का लाइसेंस हिंडाल्को और हिंदुस्तान कॉपर को मिल गया। इसके बाद भी चंद्रा मेटल्स व अन्य तीन कंपनियों ने अपना फर्जीवाड़ा जारी रखा। इन कंपनियों ने बाद में भी रेलवे में हिंडाल्को से वायर खरीदने के फर्जी बिल रेलवे को सब्मिट किए।

 

मिलीभगत कर ऊंचे दाम पर की सप्लाई


सीबीआई की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि लंदन मेटल एक्सचेंज के जरिए कॉपर के रेट रोजाना घटते-बढ़ते रहते हैं, इसका फायदा उठाकर इन फर्मों ने कोर, राइटस और आरडीएसओ के अधिकारियों से मिलीभगत कर ऊंचे दाम होने पर ही वायर की सप्लाई रेलवे को की। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, रेलवे ट्रैक में ओवरहेड इलेक्ट्रिक सप्लाई में एचडीजीसी वायर का इस्तेमाल किया जाता है। राइट्स इंडिया लिमिटेड, कोर इलाहाबाद और आरडीएसओ लखनऊ ने चार फर्मों चंद्रा मेटल्स इलाहाबाद, श्रीराम केबल्स, जेके केबल्स और ओम साईं उद्योग लिमिटेड को इसकी आपूर्ति का काम सौंपा था।

 

आरडीएसओ की अप्रूव फर्मों को ही इसकी सप्लाई का ठेका मिलता है। आरडीएसओ के मानकों के मुताबिक ही सीसीसी वायर रॉड्स से एचडीजीसी कॉन्टेक्ट वायर तैयार किया जाता है। लेकिन, निजी फर्मों ने सीसीसी कॉन्टेक्ट वायर उन कंपनियों से खरीदा जो इसे बेचने के लिए अधिकृत नहीं थीं। इसके लिए फर्जी दस्तावेज और बिलों का इस्तेमाल किया गया।

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