VIDEO : ISRO ने अंतरिक्ष में लगाया शतक, Launch हुआ Cartosat-2F
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डिजिटल डेस्क, चेन्नई। इसरो का 100वां सैटेलाइट कार्टोसैट-2 शृंखला का मौसम उपग्रह और 30 अन्य उपग्रह शुक्रवार सुबह नौ बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किए गए। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में अपना शतक लगा दिया है। आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त में नाकाम हुई उड़ान के बाद इसरो ने खामियों को दूर कर लिया है।
PSLV-C40 Successfully Launches Cartosat-2 Series Satellite along with 30 Co-passenger Satelliteshttps://t.co/bTZaQRjLmo
— ISRO (@isro) January 12, 2018
प्रधानमंत्री मोदी ने पीएसएलवी के सफल प्रक्षेपण पर कहा कि ISRO और उसके वैज्ञानिकों को आज मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। नए साल में यह सफलता हमारे देश के नागरिकों, किसानों, मछुआरों आदि के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी लाएगी।
My heartiest congratulations to @isro and its scientists on the successful launch of PSLV today. This success in the New Year will bring benefits of the country"s rapid strides in space technology to our citizens, farmers, fishermen etc.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2018
PSLV-C40/Cartosat-2 Series Satellite Mission is Scheduled to be launched on Friday, Jan 12, 2018 at 09:28 Hrs (IST)https://t.co/bTZaQRjLmohttps://t.co/IgmydrZXnK pic.twitter.com/ybTXAxa1o4
— ISRO (@isro) January 10, 2018
इसरो एक साथ 31 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजेगी। PSLV C-40 अपने साथ सबसे भारी कार्टोसैट 2 सीरीज के उपग्रह के अलावा 30 दूसरी सैटलाइट अंतरिक्ष में ले जाएगा। इसमें एक भारतीय माइक्रो सैटेलाइट और एक नैनो सैटेलाइट के अलावा 28 छोटे विदेशी उपग्रह हैं। इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है। सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कारपोरेशन लिमिटेड ने संभाली है।
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— ISRO (@isro) January 11, 2018
विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के 25 नैनो और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं। इसरो के अधिकारियों के अनुसार, 30 सैटेलाइट को 505 किलोमीटर की सूर्य की समकालीन कक्ष (एसएसओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा। एक माइक्रो सैटेलाइट 359 किलोमीटर की एसएसओ में स्थापित किया जाएगा। इस पूरे लांच में दो घंटे 21 सेकेंड का वक्त लगेगा।
भारत की उपलब्धि से डरा पाक
भारत की इस उपलब्धि पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत जिन उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, उससे वह दोहरी नीति अपना रहा है। इन उपग्रहों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य उद्देश्य में किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि इनका इस्तेमाल सैन्य क्षमताओं के लिए ना किया जाए, अगर ऐसा होता है कि इसका क्षेत्र पर गलत प्रभाव पड़ेगा।
1332 किलो वजनी हैं 31 उपग्रह
आपको बता दें कि इसरो ने अपनी वेबसाइट पर गुरुवार को लिखा, "पीएसएलवी-सी 440 के चौथे चरण के प्रणोदक को भरने का काम चल रहा है." चौथे चरण के पीएसएलवी-सी-40 की ऊंचाई 44.4 मीटर और वजन 320 टन होगा। पीएसएलवी के साथ 1332 किलो वजनी 31 उपग्रह एकीकृत किए गए हैं ताकि उन्हें प्रक्षेपण के बाद पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में तैनात किया जा सके।
43 साल पहले पहला उपग्रह प्रक्षेपित हुआ
आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इसरो निर्मित पहला उपग्रह आज से करीब 43 साल पहले प्रक्षेपित हुआ था जब भारत अंतरिक्ष तकनीक की दुनिया में एकदम नया खिलाड़ी था। आज भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी है। इसरो एक ही रॉकेट से 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर नया कीर्तिमान भी रच चुका है। हालांकि उस वक्त इसरो के पास ना तो उपग्रह निर्माण का कोई एक्सपीरियंस था और ना ही प्रक्षेपण के लिए कोई रॉकेट।
पहले उपग्रह का नाम था "आर्यभट्ट"
बता दें कि इन उपलब्धियों की नींव 19 अप्रेल 1975 को पड़ी थी। जब भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लांच किया था। इसरो द्वारा बनाए गए इस उपग्रह के लांच ने अंतरिक्ष को जानने और शोध करने की भारतीय ललक को पुख्ता करने में अहम भूमिका निभाई थी। देश की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी ने इस उपग्रह का नाम महान खगोलविद और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा था। जिसे पीनिया में तैयार किया गया था। आर्यभट्ट उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित का प्रयोग किया था। इसके अलावा उन्होंने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था।
Created On :   12 Jan 2018 8:01 AM IST