अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिना किसी कारण के इंटरनेट को सस्पेंड नहीं किया जा सकता

अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिना किसी कारण के इंटरनेट को सस्पेंड नहीं किया जा सकता

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-10 04:13 GMT
अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बिना किसी कारण के इंटरनेट को सस्पेंड नहीं किया जा सकता
हाईलाइट
  • पाबंदियों के फैसले सार्वजनिक करे सरकार- कोर्ट
  • लंबे समय तक धारा 144 नहीं लगा सकते- सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लगी पाबंदियों के खिलाफ दायक याचिकाओं पर आज (शुक्रवार) सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। विरोध के बावजूद दो तरीके के विचार सामने आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिश एनवी रमन्ना, आर. सुभाष रेड्डी और बी.आर गवई की तीन सदस्यीय बेंच इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया।

सात दिनों के भीतर सरकार करे समीक्षा
अदालत ने कहा कि इंटरनेट सेवाओं को बिना किसी कारण के निलंबित नहीं किया जा सकता है। सरकार को इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के निर्देश के सात दिनों के भीतर समीक्षा करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और इंटरनेट के जरिये व्यापार करना संविधान की धारा 19(1) के तहत सुरक्षित है औऱ उस पर धारा 19(2) में वर्णित वजहों से ही रोक लगाई जा सकती है।

सरकारी वेबसाइटों के बहाली के आदेश
कोर्ट ने सभी सरकारी और स्थानीय निकाय वेबसाइटों की बहाली का भी आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को भी आदेश दिया कि वह अस्पतालों, शैक्षणिक केंद्रों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाएं बहाल करे। SC ने कहा कि सरकार के फैसले के खिलाफ असहमति व्यक्त करना इंटरनेट निलंबन का कारण नहीं हो सकता। 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि तुरंत ई-बैंकिंग और ट्रेड सर्विस को शुरू करे। वहीं आदेश दिया है, राज्य सरकार इंटरनेट पर पाबंदी, धारा 144, ट्रैवल पर रोक से जुड़े सभी आदेशों को सार्वजनिक करना होगा। साथ ही सात दिन के अंदर इन फैसलों का रिव्यू करने का आदेश दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार के जो फैसले सार्वजनिक किए जाएंगे, उसको लेकर एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी सरकार के फैसलों का रिव्यू करेगी और सात दिन के अंदर अदालत को रिपोर्ट सौपेंगी। 

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने का ऐलान किया था। सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया है। साथ ही घाटी में कई तरह की पाबंदी और ज्यादातर नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। 

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