जेएनयू छात्रसंघ का आरोप, कुलपति कर रहे पक्षपात

जेएनयू छात्रसंघ का आरोप, कुलपति कर रहे पक्षपात

IANS News
Update: 2020-01-07 17:00 GMT
जेएनयू छात्रसंघ का आरोप, कुलपति कर रहे पक्षपात
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  • जेएनयू छात्रसंघ का आरोप
  • कुलपति कर रहे पक्षपात

नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने विश्वविद्यालय के कुलपति पर पक्षपात का आरोप लगाया है। छात्रसंघ का कहना का कहना है कि आइशी घोष के खिलाफ एफआईआर करवा कर जेएनयू प्रशासन ने यह जाहिर कर दिया है कि इस लड़ाई में वह किसकी तरफ है।

छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जेएनयू प्रशासन की शिकायत पर केस दर्ज कराया है। लोहे की रॉड से किए गए हमले में आइशी का सिर फूट गया। लहूलुहान आइशी की तस्वीर कई चैनलों और अखबारों में देखी गई थी। जेएनयू प्रशासन द्वारा करवाई गई एफआईआर के खिलाफ मंगलवार शाम जेएनयू के पूर्व छात्र भी अपना विरोध दर्ज कराने विश्वविद्यालय पहुंचे।

जेएनयू छात्रसंघ की ओर से जारी आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि कुलपति व उनका कार्यालय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को बचाने में जुट गया है। छात्रसंघ का कहना का कहना है कि विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे विरोध को जेएनयू प्रशासन ने आपराधिक बना दिया।

छात्रसंघ का कहना का कहना है कि आइशी घोष के अलावा छात्रसंघ के 20 अन्य सदस्यों के खिलाफ भी प्रशासन की ओर से पुलिस को शिकायत दी गई है।

गौरतलब है कि जेएनयू में छात्रसंघ के नेता व अन्य छात्र शिक्षण शुल्क व हॉस्टल की फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ करीब 72 दिनों से धरना दे रहे हैं।

जेएनयू में हुई हिंसा वह छात्रसंघ नेताओं पर एफआईआर के विरोध में मंगलवार को जेएनयू के पूर्व छात्र भी अपना विरोध दर्ज कराने यहां पहुंचे। पूर्व छात्रों ने जेएनयू ओल्ड कैंपस से जेएनयू के नॉर्थगेट तक विरोध मार्च निकाला। उधर, वामपंथी दलों के कई बड़े नेता भी मंगलवार को छात्रों को समर्थन देने यहां पहुंचे।

छात्रों के इस विरोध के बीच जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने सभी छात्रों से विरोध छोड़कर शीतकालीन सत्र में शामिल होने की अपील की है। कुलपति ने कहा, हम विश्वविद्यालय में शांति बहाली के प्रयास कर रहे हैं। हमने छात्रों से नई शुरुआत करने की अपील की है। वे नए सत्र के लिए अपना पंजीकरण करवाएं।

उन्होंने कहा कि जेएनयू अपनी सार्थक बहस के लिए जाना जाता है, हिंसा के लिए नहीं।

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