कर्नाटक में अमित शाह : लिंगायत मठ के स्वामी का लिया आशीर्वाद, वाडियार फैमिली से भी मिले

कर्नाटक में अमित शाह : लिंगायत मठ के स्वामी का लिया आशीर्वाद, वाडियार फैमिली से भी मिले

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-30 02:09 GMT
कर्नाटक में अमित शाह : लिंगायत मठ के स्वामी का लिया आशीर्वाद, वाडियार फैमिली से भी मिले

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर शुक्रवार को ओल्ड मैसूर पहुंचे। पिछले दौरे के तरह ही शाह ने इस बार भी अपने दौरे की शुरुआत लिंगायतों के मठ जाकर की। शुक्रवार को सुत्तूर मठ पहुंचे शाह ने यहां के प्रमुख श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामी का आशीर्वाद लिया। इसके बाद शाह वाडियार राजघराने के राजा यदुवीर चामराज वाडियार से भी मिलने पहुंचे। दो दिनों के दौरे के दौरान अमित शाह मैसूर, चामराजनगर, मांड्या और रामनगर जिलों का दौरा करेंगे। बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को वोटिंग होगी, जबकि नतीजे 15 मई को घोषित किए जाएंगे।

 

 

 

 


 

 

 

 

क्या है इस दौरे का मकसद?

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 30 और 31 मार्च को कर्नाटक दौरे पर रहेंगे। इस दौरान शाह रामनगर, चन्नपटना, मांड्या, मैसूर और चामराजनगर जिलों का दौरा करेंगे। अपने दौरे में शाह दलित नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरे में सबसे ज्यादा खास अमित शाह की सुत्तूर मठ के जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामी से होगा। सुत्तूर मठ लिंगायतों का मठ है। पिछले दौरे में भी शाह ने लिंगायतों के सिद्धगंगा मठ पहुंचे थे, जहां उन्होंने संत श्रीश्रीश्री शिवकुमार स्वामी जी से मुलाकात की थी। इस बार भी सुत्तूर मठ के प्रमुख से शाह की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। इसका सबसे कारण लिंगायत हैं। क्योंकि हाल ही में श्री मुरुगराजेंद्र मठ, जो लिंगायतों का मठ है, ते जगद्गुरु डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुगा शरनारु ने शाह को चिट्ठी लिखकर सिद्धारमैया सरकार की सिफारिश को मंजूर करने का अनुरोध किया था। 

मठों का दौरा क्यों कर रहे हैं शाह?

दरअसल, पिछले दिनों कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश को मंजूर कर लिया था। इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हुआ है, क्योंकि लिंगायत हमेशा से बीजेपी का वोट बैंक माने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार चुनाव से ऐन पहले सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शाह अपने दौरों में लिंगायतों के मठों में जा रहे हैं। इसके जरिए शाह संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी लिंगायत समुदाय के साथ है और शाह लिंगायतों को अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही शाह लिंगायतों के मठ का दौरा कर उनके प्रमुखों से सिद्धारमैया सरकार के फैसले पर राय जानना चाह रहे हैं। अगर अमित शाह को लिंगायत मठों के प्रमुखों का साथ मिल जाता है, बीजेपी लिंगायतों को अपनी तरफ लाने में कामयाब हो सकती है। साथ ही सिद्धारमैया सरकार  पर "बांटने" की राजनीति करने का आरोप भी लगा सकती है, जिसका सियासी फायदा बीजेपी को ही मिलेगा। 

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सुत्तूर मठ जाने से मिलेगा फायदा?

अमित शाह शुक्रवार से अपने दौरे की शुरुआत सुत्तूर मठ से ही करेंगे और यहां के प्रमुख जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामी से मुलाकात करेंगे। सुत्तूर मठ जाने का सबसे बड़ा कारण तो लिंगायत ही है, लेकिन क्या इसका फायदा होगा? ये कहना काफी मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुत्तूर मठ को लेकर माना जाता है कि लिंगायतों और वीरशैव के मुद्दे को लेकर ये मठ एक तरह से दूरी ही बनाए रखता है। हालांकि अगर ज्यादातर लिंगायत चाहेंगे कि वो और वीरशैव समुदाय दोनों अलग-अलग हैं, तो ये मठ उनकी तरफ जा भी सकता है और उनकी राय से भी अलग हो सकता है। वहीं पिछले दौरे के दौरान अमित शाह जब श्री मुरुगराजेंद्र मठ के प्रमुख डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुगा शरनारु से मिले थे, तो उन्होंने अमित शाह से अनुरोध किया था कि वो सिद्धारमैया सरकार के फैसले को मंजूरी दें। क्योंकि ये मठ लिंगायतों और वीरशैव को अलग-अलग मानते हैं। हालांकि सुत्तूर मठ का रुख साफ नहीं है। लिहाजा कहा जा सकता है कि सुत्तूर मठ जाने से अमित शाह को कोई खास फायदा नहीं होगा।

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कर्नाटक चुनाव बीजेपी के लिए अहम क्यों?

- 2013 में बीजेपी सत्ता से अलग हो गई थी।
- कर्नाटक जीत से 2019 के चुनाव के लिए राह आसान होगी।
- दक्षिण भारत का एकमात्र राज्य जहां बीजेपी सत्ता में रही।
- अगर जीते तो दक्षिण भारत में पार्टी विस्तार करने में मदद मिलेगी।

कर्नाटक में पिछली बार क्या थे नतीजे?

कर्नाटक में 2013 में विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई थी। 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां की 224 सीटों में से 122 सीटें जीती थी, जबकि बीजेपी ने 40 और एचडी देवगौडा की जनता दल (सेक्यूलर) ने भी 40 सीटों पर कब्जा किया था। विधानसभा चुनावों में बीजेपी भले ही कुछ खास न कर पाई हो, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां की 28 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें ही गई थी।

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