अमित शाह की रथ यात्रा को मंजूरी, डिवीजन बेंच में फैसले को चुनौती देगी ममता सरकार
अमित शाह की रथ यात्रा को मंजूरी, डिवीजन बेंच में फैसले को चुनौती देगी ममता सरकार
- अमित शाह रथयात्रा के जरिए 40 दिन में 42 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करना चाहते हैं।
- भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रथयात्रा को हाईकोर्ट ने गुरुवार को मंजूरी दे दी थी।
- ममता सरकार अब सिंगल बेंच के इस फैसले को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने शुक्रवार को चुनौती देगी।
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रथयात्रा को हाईकोर्ट ने गुरुवार को मंजूरी दे दी थी। चूंकी यह फैसला ममता सरकार के हक में नहीं आया है इसलिए ममता सरकार अब सिंगल बेंच के इस फैसले को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने शुक्रवार को चुनौती देगी।
बता दें कि अमित शाह रथयात्रा के जरिए 40 दिन में 42 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करना चाहते हैं। राज्य सरकार ने इस रथयात्रा को सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का हवाला देकर निकालने की परमिशन नहीं दी थी। जिसके बाद बीजेपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। गुरुवार को हाईकोर्ट ने कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसने इस मामले पर बीजेपी के प्रार्थना पत्र का जवाब क्यों नहीं दिया? पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था, जिसमें खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शामिल होने वाले थे।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला है। जेटली ने कहा अगर यही फैसला एनडीए या बीजेपी सरकार ने विपक्षी कार्यक्रम पर लिया होता तो इसे "अघोषित आपातकाल" करार दिया जाता। अब लोग चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि इस प्रकरण पर मानवाधिकार संगठन चुप क्यों हैं?
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने हाई कोर्ट के फैसले पर कहा, "हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। आज (गुरुवार) को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक हुई। रथ यात्रा की संभावित तारीख 28,29 और 31 दिसंबर हो सकती है। अभी कुछ तय नहीं हुआ है। हम राज्य सरकार को इसके बारे में सूचित करेंगे।"
इससे पहले जो कार्यक्रम निर्धारित किया गया था उसमें 7 दिसंबर को कूचबिहार से पहली रथ यात्रा निकलनी थी। 9 दिसंबर को दूसरे चरण की यात्रा गंगासागर से और 14 दिसंबर को तीसरे चरण की रथ यात्रा वीरभूम जिले के तारापीठ से निकलनी थी।