सीएए, एनआरसी के खिलाफ मप्र, छग में प्रदर्शन, पुलिस सतर्क

सीएए, एनआरसी के खिलाफ मप्र, छग में प्रदर्शन, पुलिस सतर्क

IANS News
Update: 2019-12-19 07:00 GMT
सीएए, एनआरसी के खिलाफ मप्र, छग में प्रदर्शन, पुलिस सतर्क

भोपाल/रायपुर, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ गुरुवार को वामदल विरोध दिवस मना रहे हैं। रैली, सभाएं, प्रदर्शन और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। प्रशासन ने किसी भी तरह के हिंसक आंदोलन को रोकने के लिए कमर कस ली है। राजधानी भोपाल में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और माकपा के राज्य मंडल सदस्य बादल सरोज ने बताया, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विरोध दिवस मनाया जा रहा है। दोनों राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार के अलावा देश में कहीं भी बंद का आह्वान नहीं किया गया है, विरोध दिवस मनाया जा रहा है। मगर कई जगह निषेधाज्ञा लागू कर कमलनाथ सरकार ने अपनी निष्ठा को संदिग्ध कर लिया है।

माकपा का कहना है कि कानून देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और संविधान की मूलभावना पर चोट है। आजादी के समय साम्प्रदायिक ताकतों के मंसूबों को नकार धर्मनिरपेक्ष भारत का निर्माण किया था। मगर अब सत्ताधारी भाजपा और संघ परिवार फिर से सावरकर और जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्घांत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

मप्र में वामदलों के विरोध दिवस के तहत प्रदर्शन किया जा रहा है और रैलियां निकाली जा रही हैं। वहीं पुलिस और प्रशासन ने एहतियात के तौर पर खास इंतजाम किए हैं। बुधवार को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (गुप्तवार्ता) डॉ. एस. डब्ल्यू. नकवी ने पुलिस अधिकारियों से वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए कानून-व्यवस्था की समीक्षा की, साथ ही सीएए और एनसीआर को लेकर होने वाले आंदोलन के दौरान खास सुरक्षा प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं।

वहीं राजधानी भोपाल में जिलाधिकारी तरुण पिथोड़े ने निषेधाज्ञा 144 लागू कर दी है। आंदोलन व प्रदर्शन पर रोक रहेगी। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर खास नजर रखी जा रही है। किसी भी तरह के भड़काऊ बयान, चित्र, वीडियो आदि जारी होने पर ग्रुप एडमिन पर कार्रवाई होगी।

वहीं माकपा की छत्तसीगढ़ इकाई के सचिव संजय पराते ने बताया, राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी है। रायपुर और रायगढ़ जिलों में प्रशासन ने आंदोलन की अनुमति नहीं दी है, उसके बावजूद प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रशासन का रवैया ठीक नहीं है। लोकतांत्रिक अधिकार पर अंकुश लगाना ठीक नहीं है।

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