कुलदीप नैयर ने अपने आखिरी समय में मोदी सरकार को दी थी नॉर्थ-ईस्ट में ‘हिंदुत्व’ न थोपेने की समझाइश 

कुलदीप नैयर ने अपने आखिरी समय में मोदी सरकार को दी थी नॉर्थ-ईस्ट में ‘हिंदुत्व’ न थोपेने की समझाइश 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-25 05:05 GMT
कुलदीप नैयर ने अपने आखिरी समय में मोदी सरकार को दी थी नॉर्थ-ईस्ट में ‘हिंदुत्व’ न थोपेने की समझाइश 
हाईलाइट
  • नॉर्थ-ईस्ट में ‘हिंदुत्व’ न थोपेने की दी समझाइश
  • पत्रकार कुलदीप नैयर ने आखरी समय में सरकार को चेताया
  • पूर्वोत्तर एक बहुलवादी समाज है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जीवनभर अपनी कलम से सरकारों का आइना दिखाते रहे वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपने अंतिम समय में भी एक आर्टिकल लिखते हुए सरकार को चेताया। उन्होनें अपने एक आर्टिकल में लिखा कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर में अपने ‘‘हिंदुत्व के दर्शन’’ थोपने की बजाय उस क्षेत्र के विकास और सुशासन पर ध्यान दे। ये आर्टिकल ‘‘इमिग्रेंट्स ऑर वोट बैंक्स’’ नाम से छपा है। उन्होने यह भी कहा कि अगर अवैध प्रवासियों पर लगाम लगाने और उन्हें भारत से बाहर निकालने के साथ पर्याप्त उपाय नहीं किए गए तो अवैध तरीके से लोगों का भारत में आना देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बना रहेगा।

नैयर ने पत्रकारिता को समर्पित किया जीवन 
कुलदीप नैयर का जन्म 14 अगस्त 1924, सियालकोट पाकिस्तान में हुआ था। उन्होंने अमेरिका से पत्रकारिता की डिग्री ली थी। कुलदीप नैयर ने भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यूएनआई, पीआईबी, ‘द स्टैट्समैन", ‘इण्डियन एक्सप्रेस" के साथ लम्बे समय तक काम किया। वे पच्चीस वर्षों तक ‘द टाइम्स" लन्दन के संवाददाता भी रहे। कुलदीप नैयर ने अपने करियर की शुरूआत ऊर्दू प्रेस से की थी। वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था। अपने जीवन काल में लेखक और पत्रकार कुलदीप नैयर ने करीब 15 किताबें भी लिखी। जिनमें ‘द जजमेंट: इन्साइड स्टोरी आॅफ इमरजेंसी इन इंडिया’, ‘वॉल ऐट वाघा – इंडिया पाकिस्तान रिलेशंस’, ‘डिस्टेंट नेबर्स: अ टेल ऑफ द सबकॉन्टिनेंट’, ‘बियॉन्ड द लाइंस’, ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’, ‘सप्रेशन आॅफ जजेस’, ‘विदाउट फीयर: द लाइफ एंड ट्रायल ऑफ भगत सिंह’ और ‘इमरजेंसी रिटोल्ड’ सबसे ज्यादा चर्चित रही। 

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