हाथियों की जान बचाने के लिए रेल पटरियों के बगल में होंगी 'मधुमक्खियां'

हाथियों की जान बचाने के लिए रेल पटरियों के बगल में होंगी 'मधुमक्खियां'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-13 11:47 GMT
हाथियों की जान बचाने के लिए रेल पटरियों के बगल में होंगी 'मधुमक्खियां'

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। हाथियों की मौत अक्सर रेल से कटकर हो जाती है। ऐसा उन इलाकों में ज्यादा होता है जहां जंगल होते हैं और बीच से कोई रेल पटरी गुजर रही होती है। हाथियों को इन दुर्घटनाओं से बचाने के लिए रेलवे ने नई पहल शुरू की है। पश्चिम बंगाल में रेल पटरियों से हाथियों को दूर रखने और हादसों को टालने के लिए रेलवे ऐसा उपकरण लगाने जा रहा है जिनसे मधुमक्खियों के भिनभिनाने की आवाज निकलेगी और हाथी इनसे दूर रहेंगे

रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक असम के रंगिया में इसकी शुरुआत की गई थी, वहां इसकी सफलता को देखते हुए अब एनएफआर पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में इस उपकरण को लगाने पर विचार कर रहा है। बता दें कि उत्तर पूर्वी सीमांत रेलवे (एनएफआर) द्वारा हाथियों के मारे जाने की घटना को रोकने के लिए यह कवायद किया जा रहा है

अधिकारी को स्थानीय लोगों ने बताया कि मधुमक्खियों के भिनभिनाने की आवाज से हाथी दूर रहते हैं। इनके भिनभिनाने की आवाज इंटरनेट से डाउनलोड की जाती है और इसे ऐंप्लिफायर पर बजाया जाता है। अधिकारी ने बताया कि यह उपकरण क्रॉसिंग स्थल और पटरियों से लगे महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह असम में लमदिंग के समीप हवाईपुर में ट्रेन से टकराकर 5 हाथी मारे गए थे। अलीपुरद्वार संभाग के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रणब ज्योति शर्मा के मुताबिक, साल 2017 के जून- जुलाई के महीने में रांगिया संभाग के गोलपाड़ा में यह उपकरण लगाए जाने के बाद ट्रेन हादसे में एक भी हाथी की जान नहीं गई है।  

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