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Update: 2018-02-09 14:53 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। JK के पत्थरबाजी मामले में सैन्य अधिकारियों के तीन बच्चों की शिकायत पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा है कि शिकायतकर्ताओं ने 27 जनवरी को जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में सैन्य कर्मियों पर बेकाबू भीड़ के हमले और पथराव की हालिया घटनाओं की उचित जांच कराने के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग की है। मानवाधिकार आयोग ने इस संबंध में एक पत्र रक्षा सचिव को लिखा है और उनसे चार हफ्ते में इस पर रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में रक्षा सचिव से मौजूदा स्थिति और सेना के मानवाधिकारों का हनन रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने को कहा गया है।

पत्र में जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों समेत अन्य राज्यों में भी तैनात सैन्य अफसरों और सैनिकों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाया गया है। साथ ही केंद्र सरकार से यह भी पूछा गया है कि उसने जम्मू और कश्मीर में सैन्य अफसरों के अपमान और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन की बताई गई शिकायतों पर क्या कदम उठाए हैं।


पत्थरबाजी की घटनाओं से विचलित
सैन्य अफसरों के बच्चों ने अपनी शिकायत में कहा है कि हाल में सैन्य अफसरों पर भीड़ के हमले और पत्थरबाजी की घटनाओं से वह बहुत विचलित हैं। शिकायत में पथराव की घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा देते हुए कहा गया है कि सेना को लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है पर उनके ही खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। शिकायत में आयोग से शोपियां मामले की तह में जाकर सही स्थिति का पता लगाने तथा सेनाओं के मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं का संज्ञान लेने की मांग की गई है।

 


 


पहली बार सैनिकों के बच्चे आए सामन
देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि देश की सरहदों की हिफाजत करने वाले सैनिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए उनके बच्चे मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गए हैं। बता दें कि 2016 में पत्थरबाजी के 2,808 केस सामने आए थे जो साल 2017 में पत्थरबाजी के मामले से बहुत ज्यादा हैं। 2017 में पत्थरबाजी के मामले घटकर 664 हो गए  थे। 2016 में पत्थरबाजी की घटनाओं के दौरान 8,932 लोग जख्मी हो गए थे वहीं 85 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। यह जानकारी पिछले साल गृह मंत्रालय ने लिखित रूप में राज्य सभा को बताई थी।

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