प्रशांत किशोर को जदयू में बड़ी जिम्मेदारी, बनाए गए पार्टी उपाध्यक्ष

प्रशांत किशोर को जदयू में बड़ी जिम्मेदारी, बनाए गए पार्टी उपाध्यक्ष

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-16 12:10 GMT
प्रशांत किशोर को जदयू में बड़ी जिम्मेदारी, बनाए गए पार्टी उपाध्यक्ष
हाईलाइट
  • प्रशांत किशोर को जनता दल (यूनाइटेड) में मिली बड़ी जिम्मेदारी
  • सितंबर 2018 में ही जदयू में शामिल हुए हैं प्रशांत किशोर
  • सीएम नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को बनाया जदयू उपाध्यक्ष

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के लिए इलेक्शन कैंपेन का जिम्मा संभालने वाले प्रशांत किशोर को एक बड़ी जिम्मेदारी मिल गई है। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी का उपाध्याक्ष नियुक्त किया है। हाल ही में उन्होंने जदयू की सदस्यता ली थी। पार्टी उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद प्रशांत किशोर जदयू में नीतीश के बाद सबसे ताकतवर नेता हो गए हैं।

प्रशांत किशोर के जदयू उपाध्यक्ष बनने पर पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि किशोर को बड़ी जिम्मेदारी देने से पार्टी अपने ट्रेडिशनल वोट बैंक के अलावा सोशल सेगमेंट के जरिए भी वोट हासिल कर सकेगी। उन्होंने कहा, "प्रशांत किशोर रणनीति बनाने में माहिर हैं। उन्होंने पूर्व में अपनी योग्यता साबित भी की है। जदयू उपाध्यक्ष के रूप में वे पार्टी को और आगे ले जाएंगे।"

गौरतलब है कि इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक प्रशांत किशोर पिछले महीने 16 सितंबर को जदयू में शामिल हुए थे। जदयू में शामिल होने के वक्त उन्होंने कहा था कि वे बिहार में अपनी नई यात्रा को शुरू करने के लिए उत्साहित हैं। इससे पहले प्रशांत किशोर अलग-अलग पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम करते थे। किशोर एक बड़े चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। साल 2014 के आम चुनावों में उन्होंने बीजेपी के लिए रणनीतियां तैयार की। वहीं साल 2015 में किशोर ने बिहार में बीजेपी के खिलाफ कैंपेनिंग की थी। उन्होंने एनडीए से लोकसभा चुनाव के दौरान अलग हुई जेडीयू के लिए प्रचार करते हुए एक बार फिर नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता दिलवाई थी। 

प्रशांत किशोर ने साल 2017 में कांग्रेस के लिए भी रणनीतियां तैयार की थी। पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के साथ थे। पंजाब में तो उन्होंने कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाने में भूमिका निभाई लेकिन उत्तर प्रदेश में उनका चुनावी गणित बिगड़ गया। यहां वे कांग्रेस के लिए वे कोई कमाल नहीं दिखा सके थे।

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