अनुच्छेद-370 हटने के एक साल बाद उमर बने खुद के प्रति सच्चे

अनुच्छेद-370 हटने के एक साल बाद उमर बने खुद के प्रति सच्चे

IANS News
Update: 2020-09-05 13:30 GMT
अनुच्छेद-370 हटने के एक साल बाद उमर बने खुद के प्रति सच्चे
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नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक किताब में कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत से अलग जम्मू-कश्मीर का कोई भविष्य नहीं हो सकता।

उमर अब्दुल्ला ने पिछले दो महीनों के दौरान अपने लेखों, समाचार पत्रों और टेलीविजन साक्षात्कारों के साथ ही ट्वीट्स में रखी गई बातों के विपरीत अपने विचार रखे हैं।

अब्दुल्ला ने किताब इंडिया टुमॉरो : कन्वर्सेशन विद द नेक्स्ट जेनरेशन ऑफ पॉलिटिकल लीडर्स में अपने विचार रखे हैं। यह किताब पाठकों को देश की अगली पीढ़ी के सबसे प्रभावशाली नेताओं के साक्षात्कारों के जरिए भारत की समकालीन राजनीति की दिशा जानने का मौका देती है।

अब्दुल्ला ने किताब में कहा, मैंने यह हकीकत कबूल कर ली है कि मैं कभी धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नेताओं के नजरिए वाला भारतीय नहीं बन सकता हूं। लेकिन, तब मैं कभी ऐसे लोगों के नजरिए वाला कश्मीरी भी नहीं बन सकता हूं, जो भारत के एक हिस्से के तौर पर कश्मीर का कोई भविष्य नहीं देखते। लिहाजा, सबसे अच्छा यही है कि आप दूसरों के हिसाब से खुद को नहीं ढालें और आप जो हैं, वही बने रहें।

जम्मू-कश्मीर में एक धड़ा ऐसा है, जो गहरी अलगाववादी भावना से ग्रस्त है और कश्मीर में भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों या अभ्यासों का सम्मान नहीं करता है। अलगाववादी सोच वाले ये लोग सोशल मीडिया पर भी खूब सक्रिय रहते हैं और लोगों को बरगाने की कोशिश करते रहते हैं। अब उमर अब्दुल्ला का कश्मीर को लेकर दिया गया बयान ऐसे अलगाववादी लोगों के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा सकता है।

हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता भी अनुच्छेद-370 के निरस्त किए जाने के बाद काफी मुखर रहे हैं। पार्टी की ओर से यहां तक कहा गया है कि वह राज्य की परिस्थिति बदले जाने से आहत हैं, इसलिए वह भविष्य में किसी भी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा ही नहीं लेना चाहते।

जम्मू-कश्मीर में भारत की संप्रभुता के बारे में उमर के दावे और उनकी यह धारणा कि कश्मीर का भारत के बाहर कोई भविष्य नहीं है, घाटी के अलगाववादी और छद्म अलगाववादी खेमे में उनके शुभचिंतकों के लिए एक झटके के रूप में सामने आया है।

पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद उमर अब्दुल्ला को नजरबंदी में रखा गया था। अब्दुल्ला ने कहा कि 232 दिनों की हिरासत ने उन्हें चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना दिया था, फिर भी जम्मू-कश्मीर को भारत का एक अभिन्न अंग मानने के उनके जांचे-परखे रुख में कोई बदलाव नहीं आया।

उमर अब्दुल्ला ने कहा, जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। मेरी हिरासत और पांच अगस्त के बाद के हालात भी मेरे ये विचार बदलने के लिए मुझे मजबूर नहीं कर पाए, क्योंकि मैंने यह सोच सभी तरह की चीजों को जोड़ते हुए बनाई है। मुझे नहीं लगता कि भारत से अलग जम्मू-कश्मीर का कोई भविष्य हो सकता है।

एकेके/एसजीके

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