करतारपुर : तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के लिए 20 अक्टूबर से शुरू हो सकते हैं रजिस्ट्रेशन

करतारपुर : तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के लिए 20 अक्टूबर से शुरू हो सकते हैं रजिस्ट्रेशन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-17 06:22 GMT
करतारपुर : तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के लिए 20 अक्टूबर से शुरू हो सकते हैं रजिस्ट्रेशन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच सरकार 20 अक्टूबर को करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने की उम्मीद कर रही है। बुधवार को पाकिस्तान ने भारतीय तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के लिए गुरुद्वारे की यात्रा का कार्यक्रम जारी किया। भारत ने प्रस्ताव दिया है कि तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 8 नवंबर को पाकिस्तान को पार कर जाए।

लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने कहा, "गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 20 अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है।" मोहन ने कहा कि "चार-लेन राजमार्ग और अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल का काम अक्टूबर अंत तक पूरा हो जाएगा।" हालांकि, पाकिस्तान में काम की धीमी प्रगति को इंडियन साइड से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

मोहन ने कहा कि पाकिस्तान ने निर्माण को टाल दिया है, लेकिन यह आश्वासन दिया है कि वह तय समय में काम पूरा कर लेगा। पाकिस्तान तीर्थयात्रियों को सुविधा केंद्र के किनारे तक ले जाने और उन्हें वापस छोड़ने के लिए जीरो पॉइंट तक परिवहन प्रदान करेगा। यात्री टर्मिनल पर कुल 55 आव्रजन काउंटर स्थापित किए जा रहे हैं। यहां पर वीजा की कोई आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन तीर्थयात्रियों को अपने पासपोर्ट ले जाने होंगे।

बता दें कि पाकिस्तान गुरु नानक की 550वीं जयंती से तीन दिन पहले 9 नवंबर को भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर खोलेगा। हर दिन भारत से 5,000 सिख तीर्थयात्री जाएंगे। यह कॉरिडोर करतारपुर में दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक श्रीन से जोड़ेगा। पाकिस्तान सरकार करतारपुर कॉरिडोर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से सुविधा शुल्क लेगी। यह रकम 20 यूएस डॉलर के बराबर होगी।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पाक ने जो प्रति तीर्थयात्री 20 डॉलर की फीस लगाई है, उस पर भारत सरकार ने सहमति दे दी है। इससे पहले सरकार ने इस बारे में एक हाई पावर कमेटी बनाई थी।

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