UPSC सिविल सर्विसेस एग्जाम के पैटर्न में बदलाव को लेकर राहुल का बड़ा हमला

UPSC सिविल सर्विसेस एग्जाम के पैटर्न में बदलाव को लेकर राहुल का बड़ा हमला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-22 08:38 GMT
UPSC सिविल सर्विसेस एग्जाम के पैटर्न में बदलाव को लेकर राहुल का बड़ा हमला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के उस संभावित फैसले पर बड़ा हमला बोला है, जिसमें केंद्र यूपीएससी सिविल सर्विसेस एग्जाम के पैटर्न में बदलाव कर रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार की योजना यूपीएससी परीक्षा में रैंक की बजाय फाउंडेशन कोर्स में नंबरों के आधार पर कैडर आवंटित करने की है। अगर PMO की तरफ से डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) को भेजे गए प्रस्ताव पर अमल किया गया तो सिविल सर्विस परीक्षा के साथ फाउंडेशन कोर्स में अर्जित किए गए अंकों के आधार पर तय होगा कि कौन IAS बनेगा और और कौन IPS समेत दूसरी परीक्षाओं के लिए चुना जाएगा। 

 

पीएमओ अब इस व्‍यवस्‍था को बदलना चाहता है। प्रस्‍तावित व्‍यवस्‍था के तहत पीएमओ ने डीओपीटी को एक प्रस्‍ताव भेजा है, जिसमें फाउंडेशन कोर्स के बाद कैंडिडेट्स का कैडर और सर्विस अलॉट करने की बात कही गई है। सभी सेवाओं के अधिकारियों के लिए फाउंडेशन कोर्स की अवधि तीन महीने होती है। यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में चुने गए उम्मीदवारों को सेवा का आवंटन फिलहाल फाउंडेशन कोर्स पूरा होने से पहले किया जाता है, लेकिन अब केंद्र सरकार सेवा का आंवटन कोर्स के बाद करना चाहता है। जमीनी ज्ञान में मिले नंबरों से ही तय होगा कि वे किस सेवा में जाने के लायक हैं। इस सिस्टम के लागू होने के बाद कम रैंक वाले उम्मीदवार भी आईएएस बन सकते हैं

 

राहुल गांधी बोले, "जागो स्टूडेंट्स, आपका भविष्य खतरे में है"

 

केंद्र के इस कदम की आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि छात्रों जागो, आपका भविष्य खतरे में है। 17 मई को DOPT के मिनिस्‍ट्री ऑफ कम्‍युनिकेशन एंड इंफार्मेशन टेक्‍नोलॉजी को भेजे लेटर का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम की मंशा केंद्रीय सेवाओं में RSS के लोगों को नियुक्त करने की है। एक्जाम में मिली रैंकिंग की बजाय सरकार मेरिट लिस्ट से छेड़छाड़ कर सब्जेक्टिव क्राइटेरिया को जोड़ रही है।

 

 

 

इसी वर्ष लागू हो सकता है नया नियम


पीएमओ से प्रस्‍ताव मिलने के बाद डीओपीटी ने इस प्रस्‍ताव को परीक्षण के लिए मिनिस्‍ट्री ऑफ कम्‍युनिकेशन एंड इंफार्मेशन टेक्‍नोलॉजी के एस्‍टैबलिशमेंट एंड ट्रेनिंग ब्रांच को भेज दिया गया है। ब्रांच को भेजे गए पत्र में स्‍पष्‍ट तौर पर कहा गया है कि पीएमओ चाहता है कि भेजे गए प्रस्‍ताव पर कार्रवाई पूरी करते हुए इसी वर्ष से लागू कर दिया जाए। 17 मई को भेजे गए इस पत्र में ब्रांच को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्‍ताह का समय दिया गया है। गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है.

 

क्या होता है फाउंडेशन कोर्स

दरअसल फाउंडेशन कोर्स सिविल सेवा पास करने वाले उम्मीदवारों को प्रशासन से जुड़ी कई ट्रेनिंग दी जाती है। इनमें गांवों और शहरों में जाकर लोगों से मुलाकात करना भी शामिल है। इस दौरान  कैंडिडेट्स को इकोनॉमिक्‍स, हिस्‍ट्री, जनरल प्रिंसिपल्‍स ऑफ लॉ, लीगल कॉन्सेप्‍ट, सिविल एंड क्र‍िमिनल कोर्ट लॉ, पब्लिक एडमिनिस्‍ट्रेशन, नेचुरल जस्टिस, सीआरपीसी, कल्‍चर, प्रोजेक्‍ट मैनेजमेंट, जेंडर सेंसिटाइजेशन, प्रिवेंटिंग करप्‍शन, मानवाधिकार सहित अन्‍य पहलुओं में पारांगत किया जाता है। फिलहाल फाउंडेशन कोर्स के 400 अंक हैं।

 

विशेषज्ञ पहले भी कर चुके हैं वकालत

इससे पहले 1989 में इतिहासकार सतीश चंद्रा ने सरकार को सुझाव दिया था कि सिविल सर्विस परीक्षा को 3 स्तर में करना चाहिए। चंद्रा ने कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा के बाद फाउंडेशन कोर्स को भी तीसरे स्तर में शामिल करना चाहिए।
 

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