Contempt Case: प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी मांगने का वक्त, SC ने सुरक्षित रखा फैसला

Contempt Case: प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी मांगने का वक्त, SC ने सुरक्षित रखा फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-20 17:09 GMT
Contempt Case: प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी मांगने का वक्त, SC ने सुरक्षित रखा फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी माफीनामा दाखिल करने का समय दिया है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी। बता दें कि प्रशांत भूषण ने SC और चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षा वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस बी आर गवई और कृष्षा मुरारी भी बेंच में शामिल हैं।

दलील में महात्मा गांधी का जिक्र
प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा, मैं सदमे में हूं और इससे निराश भी हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का कोई सबूत दिए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है। अदालत ने मुझे शिकायत की कॉपी तक नहीं दी। मेरे लिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैं दया की अपील नहीं करता हूं। मेरे प्रमाणिक बयान के लिए कोर्ट की ओर से जो भी सजा मिलेगी, वह मुझे मंजूर होगा।"

छह महीने तक की जेल की सजा का प्रावधान
अगर प्रशांत भूषण दोषी पाए जाते हैं तो कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट, 1971 के तहत छह महीने तक की जेल की सज़ा जुर्माने के साथ या इसके बगैर भी हो सकती है। इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती है। बेंच ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा था कि उनके ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते।

पहला ट्वीट
प्रशांत भूषण ने  27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे। 

दूसरा ट्वीट
दूसरा ट्वीट उन्होंने 29 जून को चीफ जस्टिस बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने कहा था, भारत के चीफ़ जस्टिस ऐसे वक़्त में राज भवन, नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट पहने सवारी करते हैं जब वे सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन में रखकर नागरिकों को इंसाफ़ पाने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर रहे हैं।

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