दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति कोविंद बोले- AMU को किसी समुदाय से न जोड़ें

दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति कोविंद बोले- AMU को किसी समुदाय से न जोड़ें

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-07 03:32 GMT
दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति कोविंद बोले- AMU को किसी समुदाय से न जोड़ें

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के 65वें दीक्षांत कार्यक्रम (कॉन्वोकेशन सेरेमनी) में शामिल हुए। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि "AMU के स्टूडेंट्स न केवल भारत में बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। एशिया और अफ्रीका के कई देशों की सरकारों में भी AMU के स्टूडेंट्स ऊंचे पदों पर हैं।" उन्होंने कहा कि देश के विकास में AMU की खास भूमिका रही है। बता दें कि राष्ट्रपति कोविंद के दौरे से पहले AMU के स्टूडेंट्स उनका विरोध कर रहे थे।

राष्ट्रपति कोविंद की बड़ी बातें :

- राष्ट्रपति कोविंद ने कहा "आधुनिक भारत के साथ-साथ दक्षिण-एशिया और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में अपने स्टूडेंट्स के योगदान के लिए मशहूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। ये यूनिवर्सिटी देश के विकास में अपनी खास भूमिका निभाती रही है।"

- उन्होंंने कहा कि "AMU देश के विकास में अपनी खास भूमिका निभाती रही है और सन 2020 में अपने 100 साल पूरे करने जा रही है। AMU के लिए आर्थिक सहायता देने वालों में बनारस के महाराजा भी शामिल थे। ऐसे महत्वपूर्ण संस्थानों को किसी समुदाय से जोड़कर देखने की आवश्यकता नहीं है।"

- उन्होंने कहा "AMU के स्टूडेंट्स ने भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। यहां के स्टूडेंट्स एशिया और अफ्रीका के विभिन्न देशों की सरकारों में प्रमुख पदों पर रहे हैं। इथियोपिया के दौरे पर वहां के प्रधानमंत्री की पत्नी ने बताया कि वे भी AMU की छात्रा रही हैं।"

- राष्ट्रपति ने कहा "डॉक्टर अब्दुल कलाम का जीवन हर भारतवासी को प्रेरणा देता है। मुझे बहुत खुशी होती है कि आज के नौजवान, उनको एक आदर्श के रूप में देखते हैं। उनमें शिक्षा के लिए जो ललक थी और कुछ कर गुजरने की जो लगन थी उसके बल पर उन्होने अपने वैज्ञानिक बनने के सपने को पूरा किया।"

- उन्होंने कहा कि "डॉक्टर कलाम किसी भी विकसित देश में एक आरामदेह जिंदगी बिता सकते थे। लेकिन वे पूरी जिंदगी अपने देश में ही रहकर समाज और देश को बेहतर बनाने की तपस्या करते रहे। ऐसे महापुरुषों की जिंदगी से सभी युवाओं को समाज और देश की भलाई के कामों में लग जाने की प्रेरणा मिलती है।"

- उन्होंने कहा "AMU में लगभग 37% तादाद लड़कियों की है। इस साल कुल पदक विजेताओं में आधे से ज्यादा लड़कियां हैं। ऐसी बेटियों की तरक्की में भविष्य के विकसित भारत की झलक दिखाई देती है। इन बेटियों की आवाज बदलाव की आवाज है जिसे क्लासरूम और यूनिवर्सिटी के बाहर भी पूरा महत्व मिलना चाहिए।"

- राष्ट्रपति कोविंद ने आखिरी में कहा कि "इस्मत चुगताई और मुमताज जहां जैसी महिलाओं ने भारतीय समाज और AMU की शान में इजाफा किया है। अमरोहा के एक साधारण परिवार की बेटी खुशबू मिर्ज़ा ने चंद्रयान मिशन में अहम भूमिका निभाई है। खुशबू जैसी बेटियों ने ‘चिलमन से चाँद’ तक के सफर को शानदार अंजाम दिया है।"

 

 



5381 स्टूडेंट्स को दी डिग्री

जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार सुबह 11 बजे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) पहुंचे थे दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने AMU के 5381 स्टूडेंट्स को डिग्रियां दी। इनमें 2891 ग्रेजुएट स्टूडेंट्स, 2094 पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स, 25 MPhil और 371 PhD स्टूडेंट्स शामिल हैं।

AMU में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए AMU में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी रखी गई थी। दीक्षांत समारोह में मोबाइल और कैमरा ले जाने पर भी बैन था। इसके साथ ही समारोह में एंट्री के लिए आईडी कार्ड भी रखा गया था। बताया जा रहा है कि सुरक्षा के नजरिए से किसी को भी कार्यक्रम स्थल पर किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ले जाने पर रोक लगाई गई थी। इसके साथ ही मीडियाकर्मियों के भी मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ले जाने पर रोक है।

राष्ट्रपति के दौरे का हो चुका है विरोध

बता दें कि राष्ट्रपति के दौरे का विरोध AMU में पिछले कई दिनों से हो रहा है। AMU स्टूडेंट यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट सजाद सुभान ने कहा था कि "राष्ट्रपति 2010 में अपने दिए गए बयान के लिए या तो माफी मांगे या फिर दीक्षांत समारोह से दूर ही रहें।" इस पर AMUSU का ये भी कहना था कि "वो राष्ट्रपति का नहीं बल्कि RSS का विरोध कर रहे हैं।"

राष्ट्रपति ने 2010 में क्या कहा था?

दरअसल, 2010 में रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने अपनी एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए 15% आरक्षण (10% मुस्लिम और 5% बाकी अल्पसंख्यक) की सिफारिश की गई थी। इस पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति ने कहा था कि "ये हो ही नहीं सकता क्योंकि मुस्लिम और ईसाईयों को अनुसूचित जाति में शामिल करना गैर-संवैधानिक होगा।" उस वक्त बीजेपी के प्रवक्ता रहे रामनाथ कोविंद ने मुस्लिमों और ईसाईयों को विदेशी बताया था।

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