रघुराम राजन की चेतावनी: GDP में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म, अलर्ट हो जाए सरकार

रघुराम राजन की चेतावनी: GDP में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म, अलर्ट हो जाए सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-07 10:11 GMT
रघुराम राजन की चेतावनी: GDP में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म, अलर्ट हो जाए सरकार
हाईलाइट
  • कहा- देश की जीडीपी में नकारात्मक बढ़ोतरी हर किसी के लिए खतरे की घंटी
  • जीडीपी में गिरावट को लेकर रघुराम राजन ने मोदी सरकार को चेताया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और जीडीपी में आई गिरावट को लेकर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और जाने माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने मोदी सरकार को चेतावनी के साथ इस स्थिति से उबरने के लिए सलाह भी दी है। एक सप्ताह पहले वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आई बड़ी गिरावट को लेकर रघुराम राजन ने कहा, जीडीपी में नकारात्मक बढ़ोतरी हर किसी के लिए खतरे की घंटी की तरह है। सरकार को आत्मसंतोष से बचने और अलर्ट होने की जरूरत है।

GDP के आंकड़े अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने चेतावनी दी है, अगर स्थिति को अभी नहीं संभाला गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था में और गिरावट आ सकती है। पहली तिमाही के GDP के आंकड़े अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म है। इसलिए सरकार को अलर्ट हो जाना चाहिए।

राजन ने अपने लिंक्डइन पेज (LinkedIn page) पर एक पोस्ट में लिखा, कोरोना वायरस के कारण अमेरिका और इटली से भी ज्यादा नुकसान भारत की अर्थव्यवस्था को हुआ है। ये दोनों देश कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा, जब इनफॉर्मल सेक्टर (Informal sector) के आंकड़े जोड़े जाएंगे तब देश की इकॉनमी में जो 23.9 फीसदी की गिरावट आई है, ये आंकड़े और भी बदतर हो जाएंगे। यानी इनफॉर्मल सेक्टर के आंकड़े जोड़ने पर अर्थव्यवस्था में -23.9% से भी अधिक गिरावट दर्ज की जाएगी।

भारत की स्थिति ज्यादा खराब
राजन ने कहा, वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के लिए हाल ही में जारी त्रैमासिक जीडीपी के आंकड़े को लेकर हम सभी को चिंतित होना चाहिए। इटली में 12.4 फीसदी और संयुक्त राज्य अमेरिका में 9.5 फीसदी की गिरावट आई है।भारत में 23.9 प्रतिशत गिरावट के साथ और भी ज्यादा खराब स्थिति में है।

राजन ने कहा, कोरोना महामारी अभी भी भारत में फैला हुआ है, इसलिए सोच-समझ कर किए गए खर्च, खासतौर पर रेस्तरां और उससे जुड़े रोजगार, जहां संक्रमण के फैलने का ज्यादा खतरा है, वे वायरस के रहने तक निचले पायदान पर ही रहेंगे। ऐसे में सरकारी राहत और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा, हालिया परिदृश्य में खासकर, गरीब परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न, छोटे और मध्यम (एसएमई) फर्मों को लोन देने के लिए बैंकों को क्रेडिट गारंटी के रूप में सरकार की पहल या समर्थन बहुत ही कम है।

संसाधनों को बचाने की रणनीति आत्मघाती
राजन ने कहा, सरकार भविष्य में प्रोत्साहन पैकेज देने के लिए संसाधनों को बचाने की रणनीति पर चल रही है, जो कि आत्मघाती और खुद को पीछे करने वाली है। सरकार सोच रही है, महामारी पर काबू पाए जाने के बाद राहत पैकेज देंगे, लेकिन, वे इस स्थिति की गंभीरता को कम आंक रहे हैं। तब तक देश की इकॉनमी को और ज्यादा नुकसान हो जाएगा। राजन का कहना है, यह धारणा बिल्कुल गलत है कि, सरकार रिलीफ और स्टिमुलस, दोनों पर खर्च नहीं कर सकती।

रघुराम राजन ने सलाह दी है कि, संसाधनों को बढ़ाने और चतुराई के साथ खर्च करने की जरूरत है। जब सरकार को अधिक खर्च करने और अधिक कार्रवाई करने के लिए संसाधनों का विस्तार करना चाहिए, तब भारत सरकार प्रारंभिक विस्फोट के बाद पीछे हटती प्रतीत हो रही है।

उन्होंने कहा, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों को अपने भुगतान जल्द पूरा कर देना चाहिए, ताकि लिक्विडिटी निगमों तक पहुंच सके। इसके अलावा, एक निश्चित आकार से नीचे की छोटी फर्मो को कॉर्पोरेट आय और पिछले साल या उसके कुछ हिस्से का भुगतान किए गए जीएसटी कर के आधार पर छूट दी जा सकती है। राजन ने कहा, यह उनकी ईमानदारी के लिए पुरस्कार के तौर पर हार्ड-टू-मैनिपुलेट मीट्रिक के आधार पर छोटी, व्यवहार्य फर्मो की मदद करने के उद्देश्य की तरह होगा।

निजी क्षेत्रों से भी मदद के लिए आग्रह किया जाना चाहिए
राजन के अनुसार, निजी क्षेत्र से भी मदद के लिए आग्रह किया जाना चाहिए। एमेजॉन, रिलायंस और वॉलमार्ट जैसे कैश-रिच प्लेटफॉर्म छोटे आपूर्तिकर्ताओं को अपने पैरों पर वापस खड़ा करने में मदद कर सकते हैं, यहां तक कि उनमें से कुछ को फंडिंग भी कर सकते हैं। सभी बड़ी फर्मों को अपने प्राप्य को जल्दी से क्लियर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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