Indian Railway: मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से हटाए जाएंगे स्लीपर कोच, सिर्फ AC बोगी रहेंगी

Indian Railway: मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से हटाए जाएंगे स्लीपर कोच, सिर्फ AC बोगी रहेंगी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-11 11:59 GMT
Indian Railway: मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से हटाए जाएंगे स्लीपर कोच, सिर्फ AC बोगी रहेंगी
हाईलाइट
  • इंडियन रेलवे एक नए प्लान पर काम कर रही है
  • मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में सिर्फ AC बोगी रहेंगी
  • मेल और एक्सप्रेस ट्रेन से हटाए जाएंगे स्लीपर कोच

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन रेलवे एक नए प्लान पर काम कर रही है। इस प्लान के तहत कुछ धीमी गति से चलने वाली पैसेंजर और लोकल ट्रेनों को छोड़कर, सभी ट्रेनों में केवल वातानुकूलित डिब्बे होंगे। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 72 बर्थ वाले वर्तमान स्लीपर क्लास कोच को 83 बर्थ वाले अधिक कॉम्पैक्ट एसी कोच से बदल दिया जाएगा। नए कोचों का किराया वर्तमान एसी किराए की तुलना में कम होगा लेकिन स्लीपर क्लास के टिकट से अधिक होगा। रेलवे के कपूरथला कारखाने में बनाया गया नया कोच, अभी अंडर ट्रायल है।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोद कुमार यादव ने कहा कि स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से स्लीपर कोच को पूरी तरह खत्म कर दिए जाएगा। इस तरह की ट्रेनों की रफ्तार 2023 तक 130 किमी प्रति घंटा और 2025 तक 160 किमी प्रति घंटे करने की योजना है। ट्रेनों से अगर स्लीपर कोच को खत्म नहीं किया जाएगा तो ट्रेनों को इस रफ्तार पर चलाना संभव नहीं हो पाएगा। मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें के 130 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से चलने पर नॉन-एसी कोच तकनीकी समस्याएं पैदा करती हैं। विनोद कुमार यादव ने कहा कि रेलवे का यह कदम यात्रा को सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए है।

यादव ने कहा, हम धीरे-धीरे लगभग 1,900 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में सभी गैर-एसी कोचों को खत्म कर देंगे। यह एक बड़ी एक्सरसाइज है और हम इसे चरणबद्ध तरीके से करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि डिपार्टमेंटल साइलो को समाप्त करने के लिए ज़ोनल और डिवीजनल रेलवे के बड़े पैमाने पर पुनर्गठन की आवश्यकता थी। आठ मौजूदा प्रोडक्शन यूनिट का विलय और हाईस्पीड कोचों के निर्माण के लिए इन-हाउस क्षमताओं को अपग्रेड किया गया। उन्होंने कहा कि एल्यूमीनियम आधारित हल्के ट्रेन प्रोटोटाइप के निर्माण की प्रक्रिया रायबरेली में मॉडर्न कोच फैक्ट्री में शुरू हो चुकी है। इन्हें वंदे भारत एक्सप्रेस में इस्तेमाल किया जाएगा।

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