SAARC Meeting: जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाक को घेरा, कश्मीर का नाम लेने से बचते रहे पाक विदेश मंत्री

SAARC Meeting: जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाक को घेरा, कश्मीर का नाम लेने से बचते रहे पाक विदेश मंत्री

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-24 13:23 GMT
SAARC Meeting: जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाक को घेरा, कश्मीर का नाम लेने से बचते रहे पाक विदेश मंत्री
हाईलाइट
  • आतंकवाद से मुकाबले के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया
  • कश्मीर का जिक्र करने से बचते दिखे पाक विदेश मंत्री
  • भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच आज (गुरुवार, 24 सितंबर) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों के विदेश मंत्रियों की ​बैठक हुई। इसमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा पार से जारी आतंकावाद के मुद्दे पर एक बार फिर पाकिस्तान को घेरा। इसके अलावा उन्होंने SAARC के सामने तीन बड़ी चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के प्रति भारत की ओर से प्रतिबद्धता और दक्षिण एशिया के एकीकृत, सुरक्षित तथा समृद्धि को लेकर जिक्र किया गया। इसके अलावा बैठक में कोरोना महामारी से निपटने के लिए SAARC फंड के गठन पर भी बात हुई।

बैठक के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि आज SAARC विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी की पहली नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता सभी पड़ोसी देशों से जुड़ाव, एकीकृत, सुरक्षित और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण की दिशा में काम करने की है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने SAARC देशों के अपने पड़ोसियों की हर मुश्किल वक्त में मदद की है। उन्होंने बताया कि भारत अपने SAARC पड़ोसियों की मदद पर जोर दे रहा है। भारत ने मालदीव को 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर, भूटान को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर और श्रीलंका को साल 2020 के दौरान 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है।

भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया
SAARC विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने पाकिस्तान के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। साथ ही विदेश मंत्री एस एस जयशंकर ने यह भी कहा कि SAARC के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां सीमा पार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाना जारी रखकर एक और मंच का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न हिस्से हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।

आतंकवाद से मुकाबले के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया
बैठक में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद और इसके प्रायोजकों का मुकाबला करने के लिए अधिक सामूहिक प्रयासों का आह्वान करता है। अफगान शांति प्रक्रिया के लिए भारत का समर्थन यह पुष्टि करता है कि वह राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और लोकतांत्रिक प्रगति को संरक्षित करता भी है। बैठक में भारत, चीन, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के विदेश मंत्री उपस्थित रहे।

कश्मीर का जिक्र करने से बचते दिखे पाक विदेश मंत्री
इससे पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। बैठक के दौरान पाकिस्तान की ओर से बैठक में एक और बदलाव दिखा, जब उसकी ओर से बैकग्राउंड में कोई नक्शा नहीं लगाया गया। पाकिस्तान के इस बदले सुर को लेकर अब कयास लगाए जाने लगे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र चार्टर और प्रस्तावों को लागू करने की बात कही। विवादित क्षेत्रों की स्थिति में एकतरफा बदलाव की भी निंदा समेत कई मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्होंने अपने भाषण में एक बार भी कश्मीर शब्द का उल्लेख नहीं किया।

4 साल बाद हुई बैठक
SAARC के विदेश मंत्रियों की आज की बैठक में सदस्य देशों के बीच एक सकारात्मक समझ विकसित करने और साल 2016 से बंद हुई बातचीत को एक बार फिर से बहाल करने की कोशिश होगी। साल 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले के बाद इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में प्रस्तावित SAARC के 19वें सम्मेलन को रद्द कर दिया गया था। तब से SAARC के किसी सम्मेलन का आयोजन नहीं किया गया। SAARC की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुई थी। SAARC की स्थापना के समय इस संगठन में क्षेत्र के 7 देश (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका) शामिल हुए थे, लेकिन साल 2007 में अफगानिस्तान को भी इस संगठन में शामिल कर लिया गया।

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