लीज पर कॉर्पोरेट घरानों के हवाले लाल किला और ताजमहल, कांग्रेस ने किया विरोध

लीज पर कॉर्पोरेट घरानों के हवाले लाल किला और ताजमहल, कांग्रेस ने किया विरोध

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-28 06:31 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 17वीं शताब्‍दी में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनाए गए लाल किले को अब डालमिया ग्रुप ने अपना बना लिया है। डालमिया भारत ग्रुप ने इस अनमोल धरोहर लाल किले को अगले 5 साल के लिए गोद ले लिया है। नरेंद्र मोदी सरकार की ‘एडॉप्‍ट ए हेरिटेज’ नीति के तहत डालमिया ग्रुप ने लाल किले में अपनी रुचि दिखाए हुए इसे गोद लिया है। बता दें कि हर साल 15 अगस्‍त को देश के प्रधानमंत्री तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्‍न मनाते हैं।

जानकारी के अनुसार एडॉप्‍ट ए हेरिटेज नीति के तहत लाल किले को गोद लेने के लिए इंडिगो एयरलाइंस और GMR ग्रुप जैसी दिग्‍गज कंपनियों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। मगर यह कामयाबी सिर्फ डालमिया ग्रुप के ही हाथ लगी और इस ग्रुप ने बगैर देरी किए अगले 5 सालों के लिए लाल किले को गोद ले लिया। डालमिया ग्रुप की ओर से बताया गया है कि वे लाल किला को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए उसे नए सिरे से विकसित करने के तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं।

GMR और ITC को मिला ताजमहल
लाल किला के बाद अब प्यार की निशानी आगरा का ताजमहल भी लीज पर दे दिया गया है। ताजमहल की देखरेख अब GMR और ITC ग्रुप करेगा। वहीं लाल किले के लिए डालमिया ग्रुप कई इंतजाम करेगा। इनमें मोबाइल ऐपलीकेशन, विभिन्‍न भाषाओं में ऑडियो गाइड, मुफ्त वाईफाई व कैंटीन जैसी सुविधाओं का आदान-प्रदान करना है। बता दें कि "एडॉप्‍ट ए हेरिटेज" योजना के तहत केंद्र सरकार धरोहरों को उन निजी हाथों में सौंप रही है, जो वहां आने वाले पर्यटकों के लिए जनसुविधाएं बढ़ाने का काम करें।

सरकार ने "एडॉप्‍ट ए हेरिटेज" योजना बीते साल 2017 में लांच की थी. यह योजना भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (ASI) ने प्रमुख धरोहरों के लिए शुरू की गई है। इसमें 100 के करीब धरोहर शामिल हैं। पर्यटन मंत्री केजे अल्‍फोंस ने कहा कि अब ये दोनों कंपनियां इन धरोहरों का संरक्षण करेंगी। बता दें कि एडॉप्‍ट ए हेरिटेज के तहत स्‍मारकों पर पर्यटक सुविधाएं चाकचौबंद करने के लिए 31 प्राइवेट इकाइयों ने सरकार को एप्रोच किया था। इसमें डालमिया समूह और GMR कांट्रैक्‍ट व ITC पाने में सफल रहीं।

कांग्रेस ने किया विरोध 
कांग्रेस ने सरकार के इस कदम पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि जिस लाल किले की हर ईंट में अपने स्वंतत्रता सेनानियों के खून की सुगंध छिपी है, ऐसे धरोहर को किसी निजी हाथों में सौंपने वाले झूठे राष्ट्रवादियों को एक दिन भी सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि क्या मोदी सरकार इतनी दिवालिया हो गई है कि उसके पास लाल किले के रखरखाव के लिए सालाना पांच करोड़ भी नहीं है। 1857 में जहां से स्वावलंबिता की लड़ाई लड़ी गई वहां अब कंपनियों के विज्ञापन दिखेंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मोदी सरकार लाल किले के महत्व को समझती भी है। साथ ही पार्टी ने ट्विट कर पूछा है कि भाजपा सरकार अब किस प्रतिष्ठित स्थल को निजी कंपनी के हवाले करेगी? संसद, सुप्रीम कोर्ट या फिर लोककल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री आवास)। 


धरोहरों के रखरखाव के लिए कोष की कमी नहीं
सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए संसकृति और पर्यटन मंत्री डॉ महेश श र्मा ने कहा कि हम किलों के रखरखाव के लिए जन भागीदारी चाहते है। शर्मा ने कहा कि हमने अपने धरोहरों को निजी कंपनियों को पट्‌टे पर नहीं दिया है। यह फैसला धरोहरों की बेहतरी के लिए राष्ट्रपति द्वारा लिया गया है। निजी संगठनों को संग्रह या सुधार का अधिकार नहीं बल्कि सिर्फ सहायक सेवाओं का काम दिया गया है। शर्मा ने आगे कहा कि इन धरोहरों के रखरखाव के लिए कोष की कोई कमी नहीं है, हमने वे कदम उठाए हैं, जो ये लोग 60 साल में नहींं उठा सके। गौर हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल मौजूदा कार्यकाल में आखिरी बार लाल किला के प्राचीर से देश को संबोधित करेंगे।

 

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