'मन की बात' पर किसी और का राइट, मैं 'दिल की बात' करता हूं : शत्रुघ्न

'मन की बात' पर किसी और का राइट, मैं 'दिल की बात' करता हूं : शत्रुघ्न

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-04 17:54 GMT
'मन की बात' पर किसी और का राइट, मैं 'दिल की बात' करता हूं : शत्रुघ्न

डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर शहर पहुंचे BJP सांसद और बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। कलेक्ट्रेट के सामने राष्ट्र मंच के तत्वावधान में हो रहे धरने के दौरान बिहारी बाबू ने कहा कि मन की बात पर किसी और का राइट है, इसका बहुत प्रचार और प्रोपेगेंडा हो रहा है। मैं दिल की बात करता हैं, चुनाव के पहले बड़े दावे होते है। बाद में उन पर अमल तो दूर चर्चा भी नहीं होती। ऐसी स्थितियों का सामना आज देश भर में किसानों को करना पड़ रहा है।

शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बहुतेरे लोग देश हित में बोलना चाहते है, लेकिन बोल नहीं बाते ऐसे लोगों के लिए राष्ट्र मंच का गठन किया गया है। इसमें देश के चुनिंदा लोग सामने आए हैं। सरकार को जताने और चेताने का माध्यम राष्ट्र मंच है।

सिन्हा ने स्पष्ट कहा कि हम यहां राजनीति करने नहीं आए हैं। किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। ऐसे लोगों के साथ बर्बरता की जा रही है। किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए हर कदम उनके साथ चलने को तैयार हैं। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे आगे बढ़ें हम उनका हमेशा साथ देंगे। ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्र मंच द्वारा 23 फरवरी को दिल्ली में किसानों का वृहद आंदोलन किया जा रहा है।

केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने हाल में प्रस्तुत केन्द्रीय बजट की खिलाफत की। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार को 2018 की नहीं 2022 की चिंता है। बजट में घोषित स्वास्थ्य बीमा योजना को छलावा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका प्रीमियम ही इतना है कि प्रदेश और देश की सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया है, इसमें सच्चाई और पारदर्शिता से सरकार स्पष्ट करे कि वह कैसे इसे अमलीजामा पहना पाएगी?


 

भाषण के समापन पर उन्होंने राष्ट्र कवि दुष्यंत कुमार की कविता, "हो रही है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए" का उल्लेख करते हुए आज की राजनीति और राजनैतिक दलों पर कटाक्ष किए।

इसके पूर्व राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने कहा कि किसान पूरी दुनिया को पालता है, किसी फैक्ट्री में अनाज का दाना नहीं बन सकता, इसलिए किसान धरती का भगवान है। इस किसान के लिए आजादी से आज तक  5 आयोग बने लेकिन किसी को भी लागू नहीं किया गया, जिसके कारण आज भी किसान की आय अनिश्चितता भरी है।

इस अवसर पर प्रशांत बावन्डे, पंडित मैथलीशण तिवारी, आलोक अग्रवाल, डाक्टर संजीव चांदोरकर, विश्वास परिहार व अन्य वक्ताओं ने विचार रखे। वहीं हाईकोर्ट के बार अध्यक्ष आदर्श मुनि त्रिवेदी ने उपस्थित होकर अपना समर्थन व्यक्त किया।

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