‘म्यांमार पर रोहिंग्या नागरिकों को वापस लेने का दबाव बनाए भारत सरकार’

‘म्यांमार पर रोहिंग्या नागरिकों को वापस लेने का दबाव बनाए भारत सरकार’

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-29 17:07 GMT
‘म्यांमार पर रोहिंग्या नागरिकों को वापस लेने का दबाव बनाए भारत सरकार’
हाईलाइट
  • म्यांमार में रोहिंग्या अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है।
  • उन्होंने कहा है कि रोहिंग्या मसला सुलझाने के लिए भारत को म्यांमार पर अपने नागरिक वापस लेने का दबाव बनाना चाहिए।
  • भारत में बांग्लादेश के हाई कमिश्नर एसएम अली ने रोहिंग्या मसला सुलझाने के लिए केन्द्र सरकार से एक अपील की है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में बांग्लादेश के हाई कमिश्नर एसएम अली ने रोहिंग्या मसला सुलझाने के लिए केन्द्र सरकार से एक अपील की है। उन्होंने कहा है कि रोहिंग्या मसला सुलझाने के लिए भारत को म्यांमार पर अपने नागरिक वापस लेने का दबाव बनाना चाहिए। एसएम अली ने कहा है, "रोहिंग्या मसला भारत और हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय है। क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के लिए जरुरी है कि भारत, बांग्लादेश समेत सभी क्षेत्रीय देश म्यांमार पर अपने नागरिक वापस लेने का दबाव बनाए।"

 


हाई कमिश्नर ने कहा कि रोहिंग्या मसला केवल बांग्लादेश के लिए समस्या नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता की बात है। उन्होंने कहा, "हमारे म्यांमार के साथ कोई द्वीपक्षीय सम्बंध नहीं है। म्यांमार सरकार के साथ समस्या यह है कि वे बरसों से अपने यहां रह रहे नागरिकों को पहचान नहीं रही है। उन्हें अपने इन नागरिकों को उनके अधिकार और जमीन वापस देनी चाहिए।"
 


बता दें कि म्यांमार में रोहिंग्या अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है। पिछले साल पश्चिमी म्यांमार में भड़की हिंसा के बाद इस समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों में शरण ली है। रोहिंग्या आतंकी संगठन आराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी (ARSA) द्वारा म्यानमार में सैन्य कैंप पर हमले के बाद यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। म्यांमार की सेना ने इस हमले के जवाब में रोहिग्याओं का कत्ले आम शुरू किया था। सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए रोहिंग्याओं ने बड़ी संख्या में यहां से पलायना किया। आंकड़ों के मुताबिक करीब सात लाख रोहिंग्या शरणार्थी इस समय बांग्लादेश में हैं। भारत में भी बड़ी मात्रा में रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं। 

 

 

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