MP: पेट्रोल पंप पर काम करने वाले का बेटा बना IAS, पहले अटेंप्ट में हासिल की 93वीं रैंक

MP: पेट्रोल पंप पर काम करने वाले का बेटा बना IAS, पहले अटेंप्ट में हासिल की 93वीं रैंक

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-06 08:02 GMT
हाईलाइट
  • 22 साल के प्रदीप ने फर्स्ट अटेंप्ट में हासिल की 93वीं रैंक।
  • इंदौर के रहने वाले प्रदीप सिंह ने पास की UPSC की परीक्षा।
  • प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर करते हैं काम।
  • बेटे की पढ़ाई के लिए पिता ने बेच दिया था अपना घर।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अगर मन में किसी काम को करने का जुनून और अपने सपने को साकार करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश के प्रदीप सिंह ने। 22 साल के प्रदीप ने कठिन परिस्थियों में पढ़ाई कर सिविल सेवा परीक्षा पास की है। संघ लोक सेवा आयोग UPSC) द्वारा शुक्रवार शाम घोषित रिजल्ट में प्रदीप को देश में 93 रैंक मिली है। प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। 

IIPS से की बीकॉम की पढ़ाई
जानकारी के मुताबिक इंदौर के देवास नाका क्षेत्र में रहने वाले पेट्रोल पंप कर्मचारी मनोज सिंह के बेटे प्रदीप सिंह ने ऑल इंडिया में 93वीं रैंक हासिल की है। DAVV के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (IIPS) से 2017 में बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रदीप ने फर्स्ट अटेंप्ट में ही UPSC की परीक्षा पास की है। प्रदीप ने बताया, उनका जीवन संघर्ष भरा रहा है फिर भी बचपन से ही सपना था कि कुछ कर दिखाऊं। जब बीकॉम में एडमिशन लिया था, तब भी यही सपना था कि कुछ बनना है। उन्होंने कहा, मेरी कोशिश है कि अपनी इस छोटी सी सफलता से माता-पिता के संघर्ष को कम कर सकूं। 

कोचिंग के लिए पिता ने बेच दिया था घर
प्रदीप की यूपीएससी की तैयारी में मदद के लिए पिता मनोज सिंह और घर के अन्य सदस्यों ने भी त्याग किए हैं। प्रदीप दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी करना चाहता था, लेकिन घर में इतने पैसे नहीं थे कि दिल्ली में कोचिंग की फीस दी जा सके। इसके बावजूद पिता ने हार नहीं मानी और बेटे की कोचिंग के लिए अपना घर तक बेच दिया। इसके बाद वह 2017 से दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे।

"सपने में भी नहीं सोचा था बेटा रोशन करेगा नाम"
प्रदीप जब यूपीएससी की परीक्षा दे रहे थे उस वक्त उनकी मां की तबीयत खराब थी, लेकिन प्रदीप पर इसका कोई असर न पड़े इसके लिए पिता ने बेटे को मां की तबीयत के बारे में भी नहीं बताया था। प्रदीप के परिवार में माता-पिता और दो भाई हैं। पिता मनोज का कहना है, मेरे लिए यह दिन कभी नहीं भूलने वाला दिन है। कुछ साल पहले तक मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा बेटा देशभर में नाम रोशन करेगा।

मां ने गिरवी रख दिए थे गहने
यूपीएससी में 93वीं रैंक पाने वाले प्रदीप सिंह फिलहाल दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। गरीबी हालत में भी उनके माता-पिता ने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्रदीप सिंह के पिता मनोज सिंह ने बताया, वह पेट्रोल पंप पर नौकरी करते हैं और अपनी जरूरतों को कम करके बच्चों को पढ़ाया। उसी का नतीजा है की बेटा आज IAS अफसर बन गया। कई बार मुसीबतें भी आईं, लेकिन पिता ने बच्चों तक नहीं पहुंचने दिया। बच्चों की पढ़ाई के लिए घर बेचने के बाद से परिवार किराए के मकान में रहता है। इसके अलावा मां अनीता ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे। 

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