ये युवा गढ़ रहे हैं आजाद भारत की नई तस्वीर, विदेशों की मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ कर चुनी स्वदेश की जमीन, ताकि बदल सकें देश की तस्वीर

आजादी का अमृत महोत्सव ये युवा गढ़ रहे हैं आजाद भारत की नई तस्वीर, विदेशों की मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ कर चुनी स्वदेश की जमीन, ताकि बदल सकें देश की तस्वीर

Raja Verma
Update: 2022-08-05 18:52 GMT
ये युवा गढ़ रहे हैं आजाद भारत की नई तस्वीर, विदेशों की मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ कर चुनी स्वदेश की जमीन, ताकि बदल सकें देश की तस्वीर
हाईलाइट
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डिजिटल डेस्क,भोपाल। अधिकतर लोगों का सपना होता है अच्छी नौंकरी पाएं,अच्छा पैकेज मिले, अच्छी लाइफ स्टाइल जिएं। पैसा पाकर लोग विदेश जा कर एक व्यवस्थित जीवन जीना चाहते हैं। लेकिन उनमें से कई ऐसे लोग हैं जिनको पैसा पद,  संपन्नता और तमाम चीजें मिलने के बाद भी देश की चाहत उन्हें यहां खींच लाई। विदेश में रहे ऐसे कई लोग सबकुछ छोड़कर अपने वतन वापस आ कर बस गए। और यहां आकर समाज की सेवा, समाज को सुधारने और समाज में जागरुकता फैलाने में जुट गए। कई लोग ने अपने देश में व्यवसाय किया और देश के बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया। आजादी के अमृत महोत्सव पर हम आपको आज ऐसे ही खास शख्सयितों के बारे बताएंगे। जिन्होंने देश की आजादी के महत्व को समझा और देशहित में काम किया। ये नए भारत के ऐसे नए सेनानी हैं जो आजाद देश की तरक्की की एक नई तस्वीर गढ़ रहे हैं।

अमेरिका में नौकरी छोड़ गांव की सरपंच बनी भोपाल की भक्ति शर्मा

मध्य प्रदेश के भोपाल की भक्ति शर्मा अमेरिका में एक अच्छी खासी नौकरी व जिन्दगी छोड़कर अपने गांव आकर सरपंच बन गई। मप्र की राजधानी से 13 किलोमीटर दूर बरखेड़ी गांव की पहली महिला सरपंच बनीं भक्ति शर्मा इसके पीछे की वजह अपने देश की सेवा करना बताती है, सरपंचा शर्मा का कहना है कि मैं राजनीति में आकर देश की सेवा करना चाहती हूं।  भक्ति का कहना है कि जब मैंने  स्थानीय महिलाओं की स्थिति को देखा तो तो मुझसे रहा नहीं गया। भक्ति ने गांव की दशा के साथ महिलाओं की दशा सुधारने के लिए काम शुरू कर दिया है।   

अनूप गुप्ता ने गांव की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने पर किया फोकस

उत्तरप्रदेश के लखनऊ  निवासी अनूप गुप्ता स्विट्जरलैंड व अन्य यूरोपीय देशों में एक दशक से अधिक समय से रह रहे हैं। पेशे से इंजीनियरिंग अनूप गुप्ता विदेश से सब कुछ छोड़कर अपने देश  भारत वापस लौट आए हैं। अनूप देश में आकर अच्छा महसूस कर रहे हैं और देश में गांव स्तर पर शिक्षा व्यवस्था सुधारने में लगे हुए हैं। अनूप कई सामाजिक कार्य करने में जुट गये,  अनूप का कहना है कि उनके लिये देश सेवा व समाज सेवा ही सर्वोपरि हैं। अनूप ने शिक्षा व्यवस्था में सुधारने के प्रयास के कदम में आई केयर इंडिया नामक एक संस्था के साथ एक सामाजिक टीम भी बनाई है। 

स्वदेश लौटे कृषि वैज्ञानिक, किसानों को सिखा रहे है आधुनिक कृषि करना

कृषि वैज्ञानिक राहुल पॅाल ईस्ट अफ्रीका में  वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ अपने देश वापस लौट आए हैं। वैज्ञानिक तरीकों से किसानों को कृषि सिखाकर राहुल पॅाल ने किसानों के चेहरे पर चार गुनी खुशी ला दी है। वैज्ञानिक राहुल ने किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए गंगा के किनारे एक छोटे से गांव सिंगी रामपुर में प्रयोगशाला खोली है, जहां पर सांइटिस्ट राहुल किसानों को जैविक खेती से आलू, केला और सब्जी, फल  पैदावार करने के लिए  प्रेरित कर रहे हैं।  फर्रुखाबाद, कन्नौज के साथ कई जिलों में उन्नत बीजों के बारे सैकड़ों किसान उनसे प्रशिक्षण ले रहे हैं।

20 गायों से खड़ा किया 44 करोड़ का कारोबार 

6 साल तक अमेरिका में लाखों की नौकरी करने वाले कर्नाटक के किशोर इंदुकुरी यूएस में नौकरी छोड़कर अपने देश भारत वापस आ गए।  उन्होंने  भारत आकर  हैदराबाद में सीड्स फार्म नाम की एक डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की। आज उनका कारोबार  44 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।

इंग्लैंड का हाई पैकेज जोब छोड़ कर बने किसान 

राजस्थान  के जोधपुर निवासी नवदीप गोलेच्छा को ग्रेजुएट स्कीम के तहत रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड" में एक अच्छी नौकरी मिली। अच्छे खासे मोटे पैकेज होने के बावजूद भी वे अपने वतन भारत वापस लौट आये। तमाम विरोध के बाद नवदीप ने किसानी करने में रूचि दिखाई। थोड़ी परेशानी आई लेकिन मेहनत रंग लेकर आई। नवदीप राजस्थान में अनार पैदा करने वाले राज्य के पहले रजिस्टर्ड किसान हैं। आज उनकी इस खेती से लाखों की कमाई होती हैं।

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