योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश- पत्रकार प्रशांत को तुरंत रिहा करें

योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश- पत्रकार प्रशांत को तुरंत रिहा करें

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-11 06:26 GMT
योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश- पत्रकार प्रशांत को तुरंत रिहा करें
हाईलाइट
  • SC ने सवाल उठाते हुए यूपी पुलिस से कहा- यह कोई हत्या का केस नहीं था
  • सीएम योगी के खिलाफ ट्वीट करने के आरोप में प्रशांत को किया गया था गिरफ्तार
  • सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर किसी को 11 दिन तक जेल में नहीं डाल सकते

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीएम योगी के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया है, वह तुरंत पत्रकार को रिहा करे। कोर्ट ने पत्रकार की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए यूपी पुलिस से ये भी कहा कि, यह कोई हत्या का केस नहीं था। सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर किसी को 11 दिन तक जेल में नहीं डाला जा सकता।

यूपी के सीएम पर आपत्तिजनक ट्वीट करने वाले पत्रकार प्रशांत कनौजिया को SC ने रिहा करने का आदेश दिया। कहा- हम तत्काल ज़मानत पर रिहाई का आदेश देते हैं। मजिस्ट्रेट अपने हिसाब से ज़मानत की शर्तें तय कर सकते हैं। हालांकि, इस आदेश को किसी ट्वीट को हमारी स्वीकृति के तौर पर न देखा जाए।

दरअशल प्रशांत कनौजिया पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। सोमवार को प्रशांत की पत्नी जिगीषा अरोड़ा कनौजिया ने गिरफ्तारी के विरोध में याचिका दायर की थी।

प्रशांत को लगातार आपत्तिजनक ट्वीट और रीट्वीट करने के आरोप में शनिवार सुबह दिल्ली में यूपी पुलिस ने मंडावली स्थित उनके घर से हिरासत में लिया था। इसके खिलाफ प्रशांत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। याचिका में प्रशांत की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया गया था। याचिका के मुताबिक, यूपी पुलिस ने इस संबंध में ना तो किसी एफआईआर के बारे में जानकारी दी, ना ही गिरफ्तारी के लिए गाइडलाइन का पालन किया गया। प्रशांत को दिल्ली में ट्रांजिट रिमांड के लिए किसी मजिस्ट्रेट के पास पेश भी नहीं किया गया।

मंगलवार (11 जून) को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, प्रशांत ने जो लिखा, इस पर यह कहा जा सकता है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था, लेकिन किस आधार पर गिरफ्तार किया गया था? सुप्रीम कोर्ट सवाल किया है कि, एक ट्वीट के लिए प्रशांत को गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी। 

अदालत ने यूपी सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की भी याद दिलाई। कोर्ट ने गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत को रिहा करने के मामले में यूपी पुलिस से उदारता दिखाने को कहा है। कोर्ट ने कहा, लोगों की आजादी पूरी तरह अक्षुण्ण है। इससे कोई समझौता नहीं किया है। यह संविधान में दिया गया अधिकार है, जिसका कोई उल्लंघन नहीं कर सकता। 
 

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