SC/ST एक्ट में बदलाव की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट, केन्‍द्र से 6 हफ्तों में मांगा जवाब

SC/ST एक्ट में बदलाव की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट, केन्‍द्र से 6 हफ्तों में मांगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-07 08:46 GMT
SC/ST एक्ट में बदलाव की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट, केन्‍द्र से 6 हफ्तों में मांगा जवाब
हाईलाइट
  • ST-SC संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
  • कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भेजा नोटिस
  • 6 सप्ताह में मांगा जवाब
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा SC/ST एक्ट में बदलाव की जांच कराई जाएगी

डिजिटल डेस्क, नई  दिल्ली। ST-SC संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने शुक्रवार को केन्द्र सरकार से पूछा है कि क्यों न कानून के अमल पर रोक लगा दी जाए। जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्र सरकार को ये नोटिस जारी किया है। इस मामले को लेकर दो वकील प्रिया शर्मा, पृथ्वीराज चौहान और एक एनजीओ ने सरकार के संशोधन कानून को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। जिस पर जजों की पीठ से एक्ट में बदलाव की जांच करने की बात कही।

याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार के एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की है जिस पर कोर्ट का कहना है कि इस मामले में सरकार का पक्ष सुने बिना कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। याचिका में कहा गया है कि सरकार का नया कानून असंवैधानिक है क्योंकि सरकार ने सेक्‍शन 18 ए के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाया है जोकि गलत है और सरकार के इस नए कानून के आने से अब बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के नए कानून को असंवैधानिक करार दे और जब तक ये याचिका लंबित रहे, तब तक कोर्ट नए कानून के अमल पर रोक लगाए। 

सरकार ने एक्ट में किया था बदलाव
जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 में बदलाव किया था तो अल्पसंख्यक अधिकार संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। कई जगहों पर हिंसा भी देखी गई थी। मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र को संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, 2 अप्रैल को हुए प्रदर्शन में यहां पर बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई थी। जिसके बाद आंदोलन करने वाले लोगों को शांत करने के लिए, केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को ओवरराइड करने के लिए संसद के मानसून सत्र में संशोधन लाया था। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। ये पूरा विवाद इसी को लेकर है। 

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