SC/ST एक्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी को भी सीधे जेल भेजना सभ्य तरीका नहीं

SC/ST एक्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी को भी सीधे जेल भेजना सभ्य तरीका नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-16 15:58 GMT
SC/ST एक्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी को भी सीधे जेल भेजना सभ्य तरीका नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। SC-ST एक्ट मामले में गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार की ओर से लगाई गई रिव्यू पिटिशन पर बुधवार को सुनवाई हुई। SC ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले शिकायत की जांच करने का आदेश संविधान की धारा-21 में व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर आधारित है। अगर बिना निष्पक्ष और ‌उचित प्रक्रिया के किसी को सलाखों के पीछे भेजा जाता है तो समझिए कि हम सभ्य समाज में नहीं रह रहे हैं। जस्टिस ए. के. गोयल और यू. यू. ललित की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। SC के 20 मार्च को दिए फैसले के खिलाफ लगाई गई रिव्यू पिटिशन की ये तीसरी सुनवाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई तक के लिए इस मामले की सुनवाई को टाल दिया है।

SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला? 
1.सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने SC/ST एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में किसी आरोपी को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही ऐसे केसों में अग्रिम जमानत का प्रावधान कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को 7 दिन के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी और फिर कोई एक्शन लेना होगा। 

2. अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है, तो पहले DSP उसकी जांच करेंगे और फिर कोई एक्शन लेंगे। वहीं अगर किसी गैर-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ केस होता है तो उसके लिए SSP की तरफ से एप्रूवल लेना जरूरी है। सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है।

3. इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों को इस्तेमाल करने के आरोपी को जब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए तो उस वक्त उन्हें आरोपी की कस्टडी बढ़ाने का फैसला करने से पहले, उसकी गिरफ्तारी के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही निश्चित अथॉरटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है।

सरकार ने दाखिल की है रिव्यू पिटीशन
SC/ST एक्ट पर 20 मार्च को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई बदलाव किए थे। जिसके बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए और विपक्ष ने सरकार को घेरा। दबाव बढ़ता देख सरकार ने 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी। केंद्र सरकार की तरफ से रिव्यू पिटीशन फाइल करते हुए तर्क दिया कि ये फैसला शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब अत्याचार निवारण एक्ट-1989 को कमजोर करता है। सरकार ने कहा कि इस फैसले से देश के SC/ST वर्ग के लोगों पर गलत असर पड़ेगा। इससे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचेगा। सरकार का ये भी कहना था कि ये फैसला सदन की तरफ से पास कानून में सुप्रीम कोर्ट का दखल है, जबकि कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर सकती है। SC/ST एक्ट को सदन में मंजूरी दी गई थी। जिसपर 3 अप्रैल को सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

भारत बंद के दौरान 14 की मौत
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर दिए फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया था, जिससे 12 राज्यों में जमकर हिंसा और तोड़फोड़ हुई। इस दौरान देशभर में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि मध्य प्रदेश में ही अकेले 7 लोग मारे गए। भारत बंद के दौरान 150 से ज्यादा लोगों के घायल हुए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा भारत बंद के दौरान 100 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर पड़ा था।

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