चमकी बुखार पर SC ने कहा, क्या कोर्ट भरने लगे डॉक्टरों के खाली पद

चमकी बुखार पर SC ने कहा, क्या कोर्ट भरने लगे डॉक्टरों के खाली पद

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-26 18:04 GMT
हाईलाइट
  • चीफ जस्टि की बेंच ने सुनी याचिका
  • पटना हाईकोर्ट जाने की दी सलाह
  • वर्षों से खाली पड़े हैं डॉक्टरों के पद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES) से पीड़ित बच्चों के इलाज में लापरवाही और मौत से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट में अर्जी देने सलाह दी है। 

जजों की बेंच ने कहा कि क्या बीमारी  किसी के द्वारा फैलाई गई है? इसमें हम क्या कर सकते हैं? याचिका में वर्षों से खाली डॉक्टरों के पद भरने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि खाली पद भरने की जिम्मेदारी स्वास्थय मंत्रालय की है। आप क्या चाहते हैं? अब कोर्ट डॉक्टरों के खाली पद भरना शुरू कर दे।

बेंच ने कहा कि हम खाली पड़े न्यायाधीशों के पद भरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि हमें इस काम में असफलता मिली है। डॉक्टरों के मामले में हम ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते हैं। डॉक्टरों, जजों, मंत्रियों के साथ-साथ सूरज की रोशनी और पानी की भी कमी है, हम सब कुछ कैसे देख सकते हैं।

याचिका में दावा, 57% डॉक्टरों की कमी
याचिकाकर्ता और वकील मनोहर प्रताप ने दावा किया है कि बिहार में डॉक्टरों के 57 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। इसके लिए बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी निर्देश जारी करना चाहिए, सरकार को एक कमेटी भी गठित करनी चाहिए, जो बच्चों के इलाज की निगरानी करे।

बता दें कि  2019 में चमकी बुखार के प्रकोप से अब तक 176 बच्चों की जान जा चुकी है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने अस्पताल के कर्मचारियों की गलती से मारने वाले लोगों के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की है, हालांकि बिहार की नीतीश सरकार चमकी से मरने वालों के  परिवार को 4 लाख रुपए की मदद का ऐलान कर चुकी है।

 

 

 

 

 

 

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