आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, सुषमा स्वराज

आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, सुषमा स्वराज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-28 14:47 GMT
आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, सुषमा स्वराज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुषमा स्वराज ने साफ किया है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद और सीज फायर बंद नहीं होता तब तक पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती। पाक की हरकतों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ किया कि यह बातचीत के लिए सही वक्त नहीं है। सुषमा ने कहा, "जब सीमा पर जनाजे उठ रहे हों तो बातचीत की आवाज अच्छी नहीं लगती है। यह बातचीत के लिए सही वक्त नहीं है। आतंकवाद और बात साथ-साथ नहीं चल सकती है।" बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के आदेश पर उन्होंने कहा, "वे (पाकिस्तान) हमें इतिहास पढ़ाना चाहते हैं। पाकिस्तान ने हमेशा से इतिहास के साथ छेड़छाड़ करता रहा है और कानून में भरोसा नहीं रखता है।" 

केंद्र की NDA सरकार के 4 साल पूरे होने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सोमवार को अपने मंत्रालय की उपलब्धियां गिना रही थीं इसी दौरान उन्होंने ये बातें कहीं। डोकलाम के मसले पर सुषमा ने कहा कि वहां की स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा, "मैं फिर दोहरा रही हूं कि डोकलाम इलाके में स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और वहां यथास्थिति बरकरार है।" सुषमा ने MEA की उपलब्धियों पर एक किताब भी जारी किया। सुषमा ने कहा कि हमने दुनिया के देशों, दुनिया में बसे भारतीयों से और भारत के लोगों से संपर्क बढ़ाने की नीति पर काम करना शुरू किया।

विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देशों से भारतीय समुदाय के 90 हजार लोगों को बचाकर स्वदेश लाया गया। सुषमा ने बताया कि "2014 तक देश में 77 पासपोर्ट केंद्र थे। मध्य प्रदेश में केवल एक केंद्र भोपाल में था। हमने निर्णय किया पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में अलग-अलग केंद्र खोले जाएंगे। 4 साल में हमने 227 नए केंद्र खोले हैं।"

सुषमा ने एच वन वीजा के सवाल पर कहा कि उनकी सरकार अमेरिका से इस मसले पर सवाल उठा रही है। उन्होंने कहा, "हमारी कोशिश है कि वीजा को बचाया जाए। अमेरिका एक संप्रभु राष्ट्र है लेकिन, हम वीजा बचाने की कोशिश में कोई कमी नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि "हमने विदेश नीति को गांवों तक पहुंचाने का काम किया है। पहले विदेश नीति केवल अंग्रेजी में बंधकर रह गई थी। हमने स्थानीय भाषाओं में विदेश नीति की बात शुरू की। हमने निर्णय किया संविधान में सूचीबद्ध 22 भाषाओं को आगे बढ़ाया जाएगा।" 

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