'व्यापमं नहीं, एकतरफा प्यार और तनाव है आत्महत्याओं का कारण'

'व्यापमं नहीं, एकतरफा प्यार और तनाव है आत्महत्याओं का कारण'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-20 13:03 GMT
'व्यापमं नहीं, एकतरफा प्यार और तनाव है आत्महत्याओं का कारण'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले के बाद आरोपियों की संदिग्ध मौतों के मामले में सीबीआई की रिपोर्ट से मप्र सरकार को राहत मिली है। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में 10 संदिग्ध मौतों को आत्महत्या बताते हुए मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। सीबीआई ने इसमें तर्क दिया है कि कुछ लोगों ने एकतरफा प्यार में और कुछ ने तनाव में आत्महत्या की हैं। व्यापमंं की जांच से जुडे़ लोगों की संदिग्ध मौतों को लेकर मप्र की शिवराज सरकार आलोचना और विरोध झेलती रही है। सीबीआई के पास व्यापमं से जुड़ी 24 मौतों की जांच थी। इस क्लोजर रिपोर्ट में उसने मप्र एसटीएफ की जांच पर भी सवाल उठाया है।

व्यापमं घोटाले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापमं की वजह से कोई संदिग्ध मौत नहीं हुई है। व्यापमं की जांच कर रही एसटीएफ ने 24 संदिग्ध मौतों की लिस्ट सीबीआई को सौंपी थी, जिनका संबंध व्यापमं से बताया जा रहा था। लेकिन सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि इन मौतों की वजह व्यापमं नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के बाद सीबीआई इस रिपोर्ट को सीबीआई कोर्ट में दाखिल करेगी और हर एक मौत को लेकर अपना पक्ष रखेगी कि इनका संबंध व्यापमं से कैसे नहीं है।

हिंदी न्यूज चैनल एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जो क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है, उसमें कहा है कि 24 में से 23 संदिग्ध मौत व्यापमं की वजह से नहीं हुई। इसके साथ ही कहा है कि जिन्होंने आत्महत्या की है, उसकी वजह भी व्यापमं नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 में से 10 लोगों ने एकतरफा प्यार, परिवार में तनाव और पैसे की वजह से सुसाइड किया है। वहीं यह भी कहा गया है कि 24 में से 16 लोगों की मौत आरोप लगने से पहले ही हो गई। सीबीआई ने व्यापमं मामले की जांच करने वाली मप्र एसटीएफ पर भी उंगली उठाते हुए कहा है कि नौ मौतों के मामले में तो एसटीफ ने बिना पोस्टमार्टम के ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इससे जिस एसआईटी की निगरानी में एसटीएफ जांच कर रही थी, वह संदेह के घेरे में आ रही है। सवाल सीबीआई पर भी उठेंगे कि बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के वह कैसे कह सकती है कि इन मौतों का संबंध व्यापम से नहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि 2006 से व्यापमं में फर्जीवाडे़ की शिकायत हुई थी और इसी साल इसकी एक जांच कमेटी बनाई गई थी। साल 2011 में सबूतों के साथ इस घोटाले को विधानसभा में रखा गया। वहीं 2013 में व्यापमं में पहली पुलिस एफआईआर दर्ज हुई। साल 2013 में स्पेशल टास्क फोर्स को इसकी जांच सौंपी गई। एसटीएफ की जांच पर सवाल उठने लगे तो तीन सदस्यों की एक एसआईटी बनाई गई। जुलाई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसमें संदिग्ध मौतों की जांच भी शामिल हैं। 

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